पुलिस में भर्ती कराने के लिए पुलिस महानिदेशक ट्रेनिंग डी पि सिन्हा के पुत्र रितेश सिन्हा व बहुजन समाज पार्टी के सहारनपुर के नेता धूम सिंह के रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। फिलहाल दोनों गिरफ्तार किए गए हैं । उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों की छवि घोटालेबाज, भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोर के रूप में आए दिन जनता के सामने प्रदर्शित होती रहती है। हमारी न्यायव्यवस्था के समक्ष अधिकांश वाद इन्ही भ्रष्टाचारियों के पर्वेक्षण में दाखिल होते है और उनके द्वारा लिखी गई बातें या विवेचना के आधार पर ही न्यायपालिका न्याय का कार्य करती है। इस तरह से क्या न्याय होता है क्या अन्याय होता है यह समझने की आवश्यकता है । कोई भी भर्ती होने वाली होती है तो बेरोजगारों को ठगने के लिए तरह तरह के रैकेट कार्य करने लगते हैं । जिसमें राजनेता उच्च अधिकारी व दलाल शामिल होते हैं । करोडो रुपये बेरोजगारों से ठगा जाता है और बेरोजगार नवजवानों को कोई लाभ भी नही होता है। अगर जांच की जाए तो अधिकांश उच्चाधिकारी किसी न किसी घोटाले में लिप्त हैं। अब सरकार अपने कर्मचारियों व अधिकारियो की निष्पक्ष भर्ती करने में भी असमर्थ हैं। एक-एक अधिकारी अरबों रुपयों की परिसम्पतियों का मालिक है जो उसको मिलने वाली तनख्वाह से कई गुना ज्यादा होती है स्तिथि यह है की जिसको हम शासन व प्रशासन कहते हैं वह सफेदपोश अपराधियों का जमावड़ा होता है ऐसे में आम नागरिक का भला कैसे होगा सारी व्यवस्थाएं असफल हैं । इस भर्ती रैकेट मामले में पुलिस महानिदेशक डी.पी सिन्हा व उनके पुत्र के ख़िलाफ़ सकारात्मक कार्यवाही सम्भव नही है क्योंकि सत्तारूढ़ दल व नौकरशाही का यह गठजोड़ है और बप्पा पुलिस महानिदेशक हैं और बेटवा घोटालेबाज है ।
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