नींद के दौरान खर्राटे लेना एक बहुत ही आम समस्या है। हम में से बहुत से लोग इस समस्या से पीडि़त होंगे परन्तु हम सभी इसके प्रति लापरवाही दिखाते हैं और इसे गंभीरता से नहीं लेते। खर्राटे आना अच्छे स्वास्थ्य का सूचक नहीं है। लोगों में एक भ्रामक धारणा यह भी है कि खर्राटे गहरी नींद में होने के कारण आते हैं परन्तु सच तो यह है कि खर्राटों के कारण व्यक्ति ठीक से अपनी नींद पूरी नहीं कर पाता। रात में नींद में अवरोध होने के कारण खर्राटे भरने वाले दिन में सुस्त दिखाई देते हैं और रात को नींद पूरी न हो पाने के कारण दिन में सोने की इच्छा भी रखते हैं। खर्राटों के कारण रात को सोते समय श्वसन में अवरोध आ जाता है। कई बार तो सांस इतनी अवरुद्ध हो जाती है कि व्यक्ति बेचैनी एवं घुटन के कारण हड़बड़ाकर उठ बैठता है। ये सब ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है। नींद में अवरोध के कारण व्यक्ति की एकाग्रता तथा एकाग्रचित्तता भंग हो जाती है तथा व्यक्ति की कार्यकुशलता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। खर्राटे भरना अपने आप युवाओं तथा किशोरों में भी खर्राटे लेने की बीमारी हो सकती है। अब तो छोटे बच्चों में भी इस रोग के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। स्लीप एप्निया सांस में अवरोध की बीमारी है। यह अवरोध नींद के दौरान पैदा होता है। खर्राटों का कोई एक निश्चित कारण नहीं होता। बहुत से कारण जैसे जीभ का बड़ा होना, पुरानी सर्दी, नाक में मस्से होना या नाक का पर्दा सीधा न होना आदि कारणों से सांस में रुकावट पैदा हो जाती है। अधिक मोटापे के कारण भी खर्राटों की शिकायत हो सकती है। खर्राटे अधिक आने पर पालीसाइटमियो नामक रोग भी हो सकता है। इस रोग में रक्त कणों की संख्या बढऩे के कारण खून में गांठें पड़ सकती हैं। यदि ये गांठें उन रक्त वाहिनियों में पहुंच जाएं जो हृदय में रक्त ले जाती हैं तो व्यक्ति को पक्षाघात, हार्ट अटैक तथा ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारियां हो सकती हैं। शोधों से यह भी पता चला है कि खर्राटों के कारण दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है। अल्सर तथा एसिडिटी की शिकायत भी हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ सकता है अचानक मृत्यु भी हो सकती है। डॉक्टर पहले उचित परीक्षण द्वारा खर्राटे के कारणों का निर्धारण करते हैं। यदि खर्राटे आने का कारण नाक में मस्सा होना या नाक के परदे का तिरछा होना है तो डॉक्टर आपरेशन की सलाह देते हैं। यदि खर्राटे आने के कारण कुछ और हैं तो इलाज उनके अनुसार किया जाता है। यदि व्यक्ति को मोटापे के कारण खर्राटे आते हों तो उसे नियमित व्यायाम तथा खानपान पर नियंत्रण द्वारा मोटापा कम करने तथा नशे की आदत पर अंकुश की सलाह दी जाती है। कुछ मरीजों में करवट लेकर सोने से खर्राटे नहीं आते जबकि कुछ को नॉजल ड्राप्स डालने से आराम मिलता है। कुछ मरीजों को मशीन लगाने से भी आराम मिलता है। परेशानी बढऩे पर गले का आपरेशन भी किया जाता है। यदि समस्या बहुत ज्यादा ही गंभीर हो तो गले में ट्रेकिया में छेद कर पीडि़त व्यक्ति को राहत दी जाती है। खर्राटे केवल आपके स्वास्थ्य के ही नहीं अपितु आपके आसपास सोने वालों की नींद के दुश्मन भी होते हैं अत: समय रहते ही इनकी रोकथाम जरूरी है।
2 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी जानकारी है धन्यवाद्
Good
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