आज आप किसी भी मध्यमवर्गीय परिवार में पहुंच जाएं , उसके युवा पुत्र या पुत्री मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज वाली नौकरी कर रहे हैं , कितने की तो विदेशों से ऐसी आवाजाही है मानों भारत घर है और विदेश आंगन। उच्च वर्गीय लोगों के लिए ही विदेशों की यात्रा होती है ,यह संशय मध्यम वर्गीय परिवारों में मिट चुका है और अनेक माता-पिता भी अपने बच्चों के कारण विदेश यात्रा का आनंद ले चुके हैं। इसी प्रकार प्रत्येक परिवार का किशोर वर्ग , चाहे वो बेटा हो या बिटिया , बडे या छोटे किसी न किसी संस्था से इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढाई कर रहे है और आनेवाले समय में उसके लिए भी नौकरी की पूरी संभावना दिख रही है। जो विद्यार्थी जीवन में बिल्कुल सामान्य स्तर के थे , उनके कैरियर की मजबूती भी देखकर आश्चर्य होता है। महंगे पढाई करवा पाना किसी अभिभावक के लिए कठिन हो , तो बैंक भी कर्ज देने को तैयार होती है और किशोरों की पढाई में कोई बाधा नहीं आने देती। प्राइवेटाइजेशन के इस युग में तकनीकी ज्ञान रखनेवालों लाखों विद्यार्थियों के रोजगार की व्यवस्था से आज के युवा वर्ग की स्थिति स्वर्णिम दिख रही है। वे पूरी मेहनत करना पसंद करते हैं , पर अपने जीवन में थोडा भी समझौता करना नहीं चाहते , उनकी पसंद सिर्फ ब्रांडेड सामान हैं, रईसी का जीवन है। इसका भविष्य पर क्या प्रभाव पडेगा , यह तो देखने वाली बात होगी , पर यदि 20 वी सदी के अंत से इसकी तुलना की जाए तो 21 सदी के आरंभ में आया यह परिवर्तन सामान्य नहीं माना जा सकता। इस आलेख को पूरा पढने के लिए यहां क्लिक करें !!
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