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31.12.09

2010 ही क्‍या .. उसके बाद भी आनेवाला हर वर्ष आपके लिए मंगलमय हो !!

इस दुनिया में आने के बाद हमारी इच्‍छा हो या न हो , हम अपने काल , स्‍थान और परिस्थिति के अनुसार स्‍वयमेव काम करने को बाध्‍य होते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं , अपने काल , स्‍थान और परिस्थिति  के अनुरूप ही हमें फल प्राप्‍त करने की लालसा भी होती है। पर हमेशा अपने मन के अनुरूप ही प्राप्ति नहीं हो पाती , जीवन का कोई पक्ष बहुत मनोनुकूल होता है , तो कोई पक्ष हमें समझौता करने को मजबूर भी करता र‍हता है। पर यही जीवन है , इसे मानते हुए , जीवन के लंबे अंतराल में कभी थोडा अधिक , तो कभी थोडा कम पाकर भी हम अपने जीवन से लगभग संतुष्‍ट ही रहते हैं। यदि संतुष्‍ट न भी हों , तो आवश्‍यकताओं की पूर्ति हेतु इतनी भागदौड करनी पडती है और हमारे पास समय की इतनी कमी होती है कि तनाव झेलने का प्रश्‍न ही नहीं उपस्थि‍त होता। पूरा आलेख पढने के लिए यहां क्लिक करें !!

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