नई दिल्ली(प्रैसवार्ता) माननीय न्यायालय द्वारा व्यस्कों के बीच सहमति से बनये जाने वाले समलैंगिक संबंधों को वैद्य घोषित किये जाने के निर्णय से समाज के विभिन्न-विभिन्न वर्ग प्रभावित होने लगे हैं और उन्होंने अपने विवाह योग्य बच्चों के यौन रूझान का पता लगाने के लिए प्राईवेट जासूसें की मदद लेनी शुरू कर दी है। न्यायालय निर्णय उपरांत ऐसे लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हो गई है, जो अपने जीवन साथी या भावी जीवनसाथी के समलैंगिक होने के शक के आधार पर उसकी जानकारी लेने के लिए जासूसों की मदद ले रहे हैं। दूसरी ओर बच्चों के शादी से इंकार करने पर माता-पिता के मन में यह आशंका उत्पन्न होने लगी है कि कहीं उनका बच्चा संमलिंगी तो नहीं, इसलिए उनका रूझान भी जासूसों की तरह होने लगा है। दिल्ली स्थित एस्कान डिटेक्टिव्स प्रा. लिमिटेड के निदेशक संजय कपूर ने ''प्रैसवार्ता'' को बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय उपरांत अभिभावकों में जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने बताया कि पति-पत्नी के बीच कई तरह के जासूसी के कुछ मामले पहले भी सामने आये थे, परन्तु वर्तमान में ऐसे अभिभावकों की संख्या ज्यादा है, जिनके बच्चों ने शादी से इंकार कर दिया है। अभिभावक यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उनके बच्चे के किसी के साथ समलैंगिक संबंध तो नहीं हैं। मुंबई स्थित ऐ.इ.सी इवेस्टिगेशन की बिजनैस हैड भारती ने ''प्रैसवार्ता'' को दूरभाष पर बताया कि संमलैगिकता की जांच के लिए प्रीमैट्रिमोनियल मामलों में निरंतर वृद्धि हो रही है। लड़के तथा लड़कियां अपने भावी जीवन साथी के प्रति खासी सावधानी बरत रहे हैं। अपने साथी के प्रति ऐसी जानकारी लेना भविष्य में काफी लाभांवित हो सकता है, क्योंकि बाद में परिवारिक दिक्कतें नहीं आती। भारती के अनुसार उनकी टीम पार्टियों, डिस्कों और ऐसे स्थानों पर जाकर जासूसी करते हैं और वहां से जानकारी जुटाकर ग्राहकों को उपलब्ध करवाई जाती है। पहले ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों द्वारा मादक पदार्थों के सेवन की जांच के लिए संपर्क करत थे, परन्तु अब समलैगिंक संबंधों की आशंका के चलते जांच करवाते हैं। जासूसी का यह व्यवसाय महानगरों से शुरू होकर ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचने लगा है।
1 टिप्पणियाँ:
मैं समझता हूँ , कि ऐसा आने वाले कुछेक वर्षों तक ही रहेगा , फिर यह एक आम बात हो जायेगी और लोग इसे इतनी गंभीरता से शायद न ले
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