वसीयत करना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। इसके द्वारा वह अपनी मृत्यु के पश्चात जिसे चाहे उसे अपनी संपति का वारिस घोषित कर सकता है अथवा अपनी संपति वितरण कर सकता है। आम तौर पर व्यक्ति संतान, सगे संबंधियों या अनाथालयों को अथवा धार्मिक संस्थाओं को अपनी संपति देता है। संसार में कुद ऐसे लोग भी हुए हैं, जिन्होंने अजब अनोखी वसीयतें कर सबको अचरज में डाल दिया है। ऐसी व्यक्ति उसकी मृत्यु के समय सबसे ज्यादा हंसे, उसे संपति का चेयरमैन नियुक्त किया जाये, और जो रोए उसे कुछ न दिया जाए। टेक्सास के विल्सन ने अपनी वसीयत के प्रति संदेह दूर करने के लिए उसे अपनी पीठ पर ही गुदवा लिया था। दाढी मूंछों से घृणा करने वाले लंदन के एक फर्नीचर व्यापारी ने अपनी वसीयत में सारी संपति उन कारीगरों के नाम लिख दी, जिनकी दाढी मूंछे सफाचट हो। अमरीका के एंडरसन को बिल्लियां बड़ी प्रिय थी। उनके पास 17 बिल्लियां एवं 3 बिल्ले थे। जब उनकी मृत्यु के बाद 12 दिसंबर 1990 को उनकी वसीयत पढ़ी गई तो तीनों बिल्लों को 11-11 लाख डालर तथा 17 बिल्लियों को 6-6 लाख डालर मिलें। कुल संपति थी, 135 लाख डालर। जब वसीयत पढ़ी गई तो एंडरसन के सभी रिश्तेदार मौजूद थे। पुत्र एलिस की तो इस सदमे से मौत हो गई कि उसके पिता ने उसके लिए फूटी कौड़ी तक नहीं छोड़ी थी। फ्रांस की मदाम क्लरा ने अपनी वसीयत में अपनी सारी जायदाद उस व्यक्ति के नाम कर दी, जो मंगल ग्रह से आने वाला पहला आदमी हो। देखना यह है कि क्या कोई दावेदार कभी मंगल ग्रह से पृथ्वी पर आएगा? फिनलेण्डके फैडरिक रिचर्ड ने अपनी सारी संपति शैतान यानि भूत के नाम कर दी। जब काफी अर्से तक किसी भूत ने दावा पेश नहीं किया, तो सरकार ने सारी जायदाद अपने कब्जे में ले ली। फ्रांस के एक सौंदर्य प्रेम ने अपनी सारी संपति उन महिलाओं के नाम लिख दी, जिनकी आंखों, नाक, होठ और बाल सुंदर हों। स्कॉटलैंड के एक उद्योगपति ने अपनी संपति अपनी संपति के वजन के मुताबिक संपति का बटवारा किया गया अधिक वजन, अधिक संपति। कम वजन, कम संपति। इससे मोटो की किस्मत खुल गई और दुबला का बेडा गर्ग हो गया। इटली के विख्यात पशु चिकित्सक बारोमोलिया को भेड़ों से बड़ा लगाव था। वे उन्हें अपने बंगले में बड़े ही ठाठ में रखते थे। उनके पास 135 भेड़ें थी। उन्होंने अपनी कुल संपति का आधा हिस्सा यानी 14 लाख लीरा इन भेड़ों को समर्पित कर दिया था, ताकि उनके बाद उनकी भेड़ों को किसी प्रकार का अभाव न हो। डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में वल्डेकर नामक एक फोटाग्राफर थे, जिन्हें गायों से विशेष प्रेम था असहाय बीमार गायों को देख उनका मन बहुत दुखी होता था। वे ऐसी गायों की प्रभावी मुद्रा में फोटो खींचते और उनकी बिक्री से प्राप्त राशि को अलग रखते थे। 18 नवम्बर 1983 को जब उनकी मृत्यु हुई और उसके बाद उनकी वसीयत पढ़ी गई, तो उसमें लिखा था कि गायों के चित्रों से प्राप्त राशि, जो कोपनहेगन के एक बैंक में जमा है, ऐ एक गौ शाला बनाई जाए, जहां बीमार वृद्ध एवं बेसहारा गायों की परवरिश की जाए। उनकी यह राशि 19 लाख क्रोन (डेनमार्क की मुद्रा) थी। आस्ट्रेलिया के जैम्स मूर एक बड़ी दूध डेरी के मालिक थे। उनकी मृत्यु 23जुलाई 1988 को हुई। 24 जुलाई को उसकी वसीयत पढ़ी गई। उनकी कुल पूंजी कंगारूओं के कल्याण पर खर्च करने की वसीयत की थी। लंदन के एक कारीगर केवेन्टर की मोटर साइकिल से एक गिलहरी मर गई। उसे इसका बेहद अफसोस हुआ उसने अपनी वसीयत में लिखा कि उसकी सारी संपति गिलहरियों के लिए है और उससे उनके दाना-पानी की व्यवस्था की जाए। अंधेरे से नफरत और उजाले से प्यार करने वाले जर्मनी के एक डॉक्टर ने मृत्यु के बाद उसके ताबूत में बारीक जालियां लगाई गई तथा कुछ जलती हुई मोमबत्तियां भी रखी गई। युगोस्लाविया के एक पियक्कड़ व्यापारी ने अपनी वसीयत में लिखा कि वह जो संपति छोड़े जा रहा है, उससे प्रतिदिन उसकी कब्र को शराब से धोया जाए और वर्ष में एक दिन (उसके मरने की तिथि) शहर भर में सभी शराबियों को कब्र के पास बैठकर मनचाही शराब पिलाई जाए। स्विट्जरलैंड के एक इंजीनियर जैकीस चिकार्ड ने काफी धन कमाया। उसकी वसीयत कुल संपति 17 लाख फ्रेंस थी। उसने अपनी वसीयत में कहा था कि इनसे पशु अस्पताल खोला जाए, जहां घायल पशुओं की नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था हो। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में एक कपड़ा व्यवसायी थे, रामनिवास चौधरी। फरवरी 1982 में उनकी मृत्यु हुई। उन्होंने अपनी सारी जायदाद बंदरों के नाम कर दी थी। उनकी संपति थी 3 लाख 17 हजार रुपए। हेनलिन, जर्मनी के विख्यात करोड़पति आर्थर एवमैन ने अपनी सारी धन दौलत उन लोगों के नाम कर दी, उसकी शवयात्रा (अंतिम संसकार) में शामिल होंगे। साहित्यकार की सनक के तो क्या कहने! वोरिया के विख्यात साहित्यकार कांग जुफूसोल ने काफी दौलत अर्जित की थी। उसने अपनी वसीयत में लिखा कि जो कोई उसकी याद में राजधानी में 1500 मीटर टावर बनाएगा, उसी को सारी संपति मिलेगी, लेकिन साहित्यकार की वसीयत धरी रह गई, क्योंकि कोई भी इतना ऊंचा टावन बनाने के लिए तैयार नहीं हुआ। अंत में सरकार ने उसकी संपति अपने कब्जे में ले ली। भिखारी भी भला वसीयत करते है? क्यों नहीं, उनके पास अथाह धन हो, तो अवश्य कर सकते है। इग्लैंड के कैनन हैरी ने भीख मांग काफी धन इक_ा किया और सारी संपति भिखारियों के मनोरंजन के लिए कर दी। निक एकाडे के पास डोली नामक कुत्ता था, जो हर समय उसके साथ रहता था। जब 18 जून 1991 में उसकी मृत्यु हो गई उसकी वसीयत पढ़ी तो, घर वालों के पैरों तले से जमीन खिसक गई। 35 लाख डालर की सारी संपति वे अपने प्रिय कुत्ते के नाम कर गए थे। यही नही वे यह भी लिख गये थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी बीवी व बच्चों को उनके मान से बेदखल कर दिया जाए तथा उस भवन में कुत्तों के लिए अनाथालय बनाया जाए, जिसमें अवारा कुत्तों की परवरिश की जाए। वरमोट अमरीका की श्रीमती जीन कोर हजो एक डिपार्टमैंटल स्टोर की संचालिका थी। 8 दिसंबर 1987 को स्वर्ग सिधार गई। उसकी मृत्यु के बाद उसकी वसीयत पढ़ी गई, तो संपति का बंटवारा कुछ इस तरह था। 15 लाख डालर पूसी, रूबू और खोसी नामक तीन बिल्लियों के लिए, 7 लाख डालर कबूतरों के लिए तथा 3 लाख चिडिय़ों के लिए। -मनमोहित ग्रोवर, प्रैसवार्ता
1 टिप्पणियाँ:
गजब है जी ..बिल्कुल अजब है ..यहां कहां बन पाती है ऐसी वसीयतें ..कुत्तों बिल्ली के लिये..
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