चंडीगढ(प्रैसवार्ता) सब्जियों में कीटनाशकों के प्रभाव के चलते जनसाधारण के जीवन में भी जहर घुल रहा है- जबकि सब्जी उत्पादक ऊंचे दाम कमाने के चक्कर में सब्जियों पर अंधाधुंध कीटनाशक छिडक रहे है। कपास तथा चावल पर छिड़की जाने वाली थिमाट का प्रयोग किया जा रहा है, जिसका गोभी पर असर डेढ मास तक रहता है। इस प्रकार गोभी के सेवन के साथ साथ थिमाट का सेवन भी हो जाता है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने गोभी के लिए एंडो सल्फान तथा एमालिक्स की सिफारिश की है, मगर कुछ सब्जी उत्पादक कापर सल्फेट जैसे खतरनाक कीटनाशकों के इस्तेमाल से भी गुरेज नहीं करते। बैंगन को ज्यादा चमकीला बनाने के लिए मंडी में ले जाते समय मैथालीन में डूबो कर रखा जाता है और परिणामस्वरूप ग्राहक बैंगनों के साथ साथ गैंस, सिरदर्द, पेटदर्द जैसी बीमारियां भी लेते है। भारत में फ्रांसफॉनी लॉन 85 प्रतिशत जैसे करीब 40 कीटनाशकों पर पाबंदी है,मगर यही दवाएं डिब्बों पर कम प्रतिशत दिखाकर बेची जा रही है। एक कृषि विशेषज्ञ ने ''प्रैसवार्ता'' को बताया कि भारतवर्ष के करीब 5 प्रतिशत लोग कैमीकल,खाद और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण बीमार होते रहते है। खेतों में कीडे और खरपतवार रोक ने के लिए जिन मनमानी दवाओं का प्रयोग होता है, इससे कैंसर जैसी भयंकर बीमारियां हो रही है। पंजाब प्रदेश के मालवा क्षेत्र में ऐसी सब्जियों के सेवन के कारण 60 प्रतिशत से अधिक लोग कैंसर की चपेट में आ गए है। कीटनाशकों के अंधाधुंध छिडकान से अनाज में जहर तो ज्यादा समय तक रहता है, मगर सब्जियों में इतनी देर तक जरूर रहता है कि मनुष्य के पेट में आसानी से पहुंच जाता है। इस कृषि विशेषज्ञ की सलाह है कि सब्जियों के सेवन से पूर्व उनकी साफ -सफाई के साथ साथ जरूर धोना चाहिये।
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