दिल्ली(प्रैसवार्ता) मानवता को दहला देने वाला एक कटु सत्य है, जिस पर विश्वास करना कठिन है कि, इंसानों को उसके अंगों की बिक्री के लिए इसलिए कैद किया जाता है, कि ग्राहक आयें, जिंदा इंसानों के अंग देखकर पसंद करे और फिर उसे मारकर उसका अंग अपने शरीर में प्रत्यारोपित करवा कर चलते बने। यह सब करते समय पकड़े जाने या जेल जाने का कोई खतरा नहीं, क्योंकि यह सब सरकार और सेना की देखरेख में ही होगा। कनाडा के पूर्व विदेश मंत्री डेविड किलगार ने अपनी लम्बी जांच के बाद इसे सत्य पाया है। डेविड किलगार द्वारा पेश किये आकंड़ों पर इंकार नहीं किया जा सकता। चीनी मैडीकल कम्यूनिटी में प्रत्यारोपण केचीन से स्वस्थ अंग खरीदने में मात्र इतनी मशक्कत करनी पड़ती है, जितनी भारत में टिकट खरीदने में लगती है। इंटरनेट पर वहां के प्रमुख अस्पतालों के फोन नम्बर देखिये और दुनिया के किसी भी हिस्से से फोन मिलाकर सौदा पक्का कीजिये। यदि आपकी जेब में अच्छा माल है, तो आंखों के कोर्निया से लेकर दिल, किडऩी और लीवर तक, जो चाहेंगे, मिलेगा। विदेशों से बड़ी संख्यां में आकर लोग स्वस्थ अंग लगवा रहे है। २७ वर्ष तक कनाडा के चुने सांसद और लम्बे समय तक रहे विदेश मंत्री रहे डेविड किलगार ने रिकार्ड की गई बातचीत में १५ अस्पतालों के डाक्टरों और कर्मचारियों से सौदा किया और इन्होंने स्वीकार किया कि चीन में फालुन गोंग समुदाय के लोगों के अंग बिकते है। लंबी जांच उपरांत किलगार ने पाया कि चीन के एक धार्मिक संप्रदाय फालुन गोंग के लाखों लोगों को गुलाम बनाकर रखा जाता है। फालुन गोंग की जेनिस बताती है कि प्राचीन धर्मों तथा योग जैसी पद्धतियों पर आधारित इस संप्रदाय की लोकप्रियता इतनी बढ़ी की साढ़े सात करोड़ लोग इसके अनुयायी हो गये, जबकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य सिर्फ एक करोड़ ६० लाख ही है, जिससे घबरा कर दमनकारी चीनी सरकार ने लाखों फालुन गोंग के अनुयाईयों को पकड़ कर लेबर कैंप में रखा है, जबकि चीनी दूतावास इस आरोप को झुठला रहा है। इसके प्रवक्ता वंश शियाओं फं ग ने बातचीत में स्वीकार किया कि फालुन गोंग को अपनाने वाले लोग शैतानी प्रवृति के होते है। अंगदानी चीन में कितनी पंजीकृत है, प्रत्यारोपण का पूरा कारोबार कितना है, इसके बारे में पूछे गये सवालों का न तो प्रवक्ता ने कोई जबाव दिया है और न ही चीनी राजदूत से लिखित में पूछे गये सवालों का कोई जवाब मिला।
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