चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) भले ही प्रदेश की चौधर फिर से रोहतक में रहने का गर्व जाट लैंड को मिल गया है, लेकिन मुख्यमंत्री के सामने कई नई चुनौतियां होंगी। कांग्रेस के बाहर मौजूद विपक्ष ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के भीतर विरोधी भी उन पर विकास के लिहाज से केवल रोहतक पर ध्यान देने का आरोप लगाते रहे हैं। इस छवि को सुधारने और विपक्ष और विरोधियों को खामोश करने के लिए एक बड़ी चुनौती उनके सामने प्रदेश में समान और सर्वतत्र विकास की मिसाल पेश करना रहेगी। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और उनकी बीते साल की सरकार अपने बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल में निरंतर ये दावा करती रही है कि आने वाले डेढ़ साल में प्रदेश की जनता को न केवल 24 घंटे भरपूर बिजली मिलेगी, बल्कि हरियाणा इतनी बिजली पैदा करेगा, के सरप्लस हो जाएंगे। अब इम्तिहान की घड़ी आ पहुंची है। हुड्डा सरकार पर डेढ़ साल के भीतर भरपूर बिजली पैदा करने की क्षमता हासिल करने के साथ ही सरप्लस के दावे को हकीकत में बदले का दबाव रहेगा। ये बड़ी चुनौती हुड्डा सरकार के समक्ष मुह बाए खड़ी है। महंगाई को मुद्दा बनने के चलते ही कांग्रेस को 40 पर सिमटना पड़ा। ये फौरी चुनौती भी सरकार के लिए रहेगी। राज्य में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन का ऐलान हरियाणा दिवस पर करने का वायदा प्रदेश की जनता से किया था, इस पर भी उन्हें अग्रि परीक्षा से गुजरना होगा। हरियाणा के एडवोकेट जनरल की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट पक्ष में आने के बाद हुड्डा ने इसकी घोषणा की बात कही थी। लिहाजा एक नवंबर आने में चंद दिन शेष हैं। कमेटी के गठन की घोषणा एक नवंबर को हरियाणा दिवस पर हुड्डा करते हैं या नहीं ये देखने वाली बात रहेगी। इस निर्णय का उन पर लंबे अर्से से दबाव है। हांसी बुटाना नहर में पानी लाने की चुनौती भी है। इसके अलावा बेरोजगारों की फौज नौकरियों के लिए सरकार और प्राइवेट संस्थानों की तरफ आंखें लगाए बैठी है।
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