राम का घोड़ा! ना.. बाबा.. ना। यू तो नेता जी सै, पाछले जन्म की हाथ जोड़न की बाण कौन गई -हथजोडे.की। यू जो भी सै, सै पक्का मांस खाणा या न्यू कहल्यो मांसाहारी कीट। फेर तो यू ना राम का घोड़ा अर ना हथजोडा। यू तो होया नमस्ते करकै मारणिया - नमन्तु या जयन्तु । अंग्रेज तो इसनै प्रेइंग मेँटिस कह्या करे। कहण का के सै। कहण नै तो म्हारे बडे-बूढे भी इसकी अंडथैली नै गादड़ की सुंडी कह्या करै। पाड़ लो नै पुन्ज़ड । छोडो नाम ,नाम में के धरया सै। इसका काम बताओ? काम तो इसका एक्के सै। मांस खाणा अर बालक जामणा। मकडी, मक्खी, मच्छर, अल, तेला, चुरडा, तितली, पतंगा, भंवरा और सुंडी आदि। कुछ फंस ज्याओ , उसे नै रगड़ दे सै। और तो और आगै की होंदे ही अपने मर्द नै भी खा जा सै। सै सही खसमखाणी। खसमखाणी बेशक हो, पर बालक इसने भी बहुत प्यारे लागै सै। इसीलिए तो या रांड अपनी मजबूत अन्डथैली को झाड, कीकर, कैर तथा जांडी आदि कंटीले पौधों की टहनियों पर ही चिपकाया करती है । पर यह क्या ? अबकी बार तो इस नै अन्डथैली कांग्रेस घास की टहनियों पर चिपकाई सै। पता सै क्यूँ ? क्योंकि अन्डथैली से निकलते ही इसके नवजात शिशुओं को कांग्रेस घास पर मिलीबग व उसके बच्चे खाणे को मिलेंगे। अर वो भी भरपेट !!
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