बठिण्डा (प्रैसवार्ता) पंजाब प्रदेश भले ही पानी की तरह बेआब होता जा रहा है, परंतु वर्तमान में इस राज्य में शराब 6 वां दरिया बह रहा है। नशों की दलदल में डूब चूके पंजाबी वर्ष भर में तीन सौ करोड़ रुपयों की शराब और दज हजार करोड़ से अधिक के अन्य नशे करते हैं। 'प्रैसवार्ताÓ को मिली जानकारी अनुसार सरकारी आंकड़ों में यह पुष्टि है कि पंजाब में प्रतिदिन 8 करोड़ रुपयो की अंग्रेजी व देसी शराब तथा बीयर (घरेलु ढंग से शराब व तस्करी की शराब अलग)पी जाती है, जिसमें प्रतिदिन करीब 7 लाख बोतलों की बिक्री सिर्फ पंजाब में होता है। मजेदार पहलू यह है कि आधे से ज्यादा शराब का सेवन करते है, जबकि शराब के अतिरिक्त स्मैक, हीरोईन, अफीम, पोस्त, नशीले कैप्सूलों की खपत शराब से तीन गुणा ज्यादा है। गुरू नानक देव युनिवर्सिटी के एक सर्वे के मुताबिक 16 से 35 वर्ष के 75 प्रतिशत युवा नशों की गिरफ्त में है, जिनमें लड़कियां या महिलाएं भी सम्मिलित हैं। सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए शराब के ठेकों की संख्या में निरंतर बढ़ौत्तरी कर रही है। धार्मिक स्थानों, स्कूल-कॉलेजों, बस संस्थानों के नजदीक ठेके खोले जा रहे हैं। यदि कोई संस्था इसका विरोध भी करे तो पुलिसिया सहयोग न मिलने के कारण विरोध दम तोड़ देता है। दरअसल सरकार भी चाहती है कि युवा वर्ग नशों में ही उलझा रहे, ताकि वह अपना अधिकार मांगने के लिए सड़कों पर न उतर आये। नशों की चुंगल में फंसे युवा नशा पूर्ति के लिए चोरी, डकैती, फिरौती व हत्या जैसे अपराधों की ओर मुड़ रहे हैं। पुरूष-महिलाओं के अवैध संबंधों के कारण पंजाब में हर तीसरे दिन एक हत्या होती है। प्रदेश में शिक्षा भी मनोरथ हीन होकर रह गई है। स्कूलों में नशों के बारे में जानकारी नहीं दी जाती, शिक्षक स्वयं नशों के आदी बन गए हैं। ऐसी स्थिति में सिर्फ सामाजिक संस्थानों से ही आशा की जानी चाहिए कि वह विशेष अभियान चलाकर लोगों को नशों से दूर रहने व नशों से होने वाले नुकसान से अवगत करवाकर उन्हें जागरूक करें।
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