आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I

31.10.09

लो क सं घ र्ष !: कहीं सी आई ऐ के नौकर तो नही हैं ?

अपने देश में अंग्रेज व्यापारी बनकर आए थे और यहाँ के लोगों को लालच देकर उपहार देकर, घूष देकर देश के ऊपर कब्जा कर लिया थाउन्ही नीतियों से सबक लेकर अमेरिकन साम्राज्यवाद एशिया के मुल्को को गुलाम बनाने के लिए कार्य कर रहा हैअफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई के भाई अहमद वली करजई को सी आई पिछले आठ सालों से वेतन दे रही है और अमेरिका की कठपुतली सरकार अफगानिस्तान में हैइसके पूर्व इराक़ में भी अमेरिकन साम्राज्यवादी लोग पत्रकारों, टेक्नोक्रेट्स , नौकरशाहो , न्यायविदों को रुपया देकर अपनी तरफ़ मिला कर इराक़ पर कब्जा किया था और ताजा समाचारों के अनुसार पाकिस्तान में अमेरिकन खुफिया एजेन्सी सी आई पैसा बाँट रही है और अपनी तरफ़ लोगों को कर रही हैपाकिस्तान में उसकी कठपुतली सरकार तो है लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था द्वारा चुनी गई सरकार है अमेरिकन साम्राज्यवाद जनता द्वारा चुनी गई सरकारों की मुख्य दुश्मन हैमुंबई आतंकी घटना के बाद अमेरिकी खुफिया एजेन्सी एफ बी आई और इजराइल की खुफिया एजेन्सी मोसाद अपने देश में कार्य कर रही हैनिश्चित रूप से सी आई अपना कोई भी हथकंडा छोड़ने वाली नही है और अपने हितों के लिए इस देश के बुद्धजीवी तबको में से कुछ स्वार्थी तत्वों को रुपया लालच देकर कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकती हैइस लिए आवश्यक यह है की इनकी गतिविधियों पर सख्त निगाह रखी जाए इनके हथकंडो से सावधान रहने की जरूरत हैक्योंकि यह लोग सी आई के लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को खरीद कर अपनी कठपुतली सरकारें बनाए का कार्य करती है


सुमन
loksangharsha.blogspot.com

30.10.09

लो क सं घ र्ष !: बुदबुदाते, खदबदाते, भरे बैठे लोगों को व्यंग्य वार्ता का आमंत्रण

प्रिय साथियो!
चलिये समाज की कुरीतियों, विसंगतियों, झूठ व आडम्बर पर प्रहार करें। हमारे औजार हमारी संवेदनाएं, हमारी अनुभूतियां, हमारे अनुभव होंगे और इनको जो धार देगा निस्संदेह वह व्यंग्य होगा। आईये हमसे हाथ मिलाइये और करिए समाज की सफाई; क्योंकि अब ‘व्यंग्यवार्ता’ का शुभारम्भ हो चुका है। संभावित दूसरा अंक पुलिस विशेषांक होगा। कमर कसिए, कलम घिसिए और भेज दीजिए अपनी चुटीली रचनाएं। हम उन सभी का स्वागत करते हैं जिनकी मुट्ठी अभी भी भिचतीं है और जो समाज को सुन्दर, बेहतर और स्वस्थ देखना चाहते हैं..........।

शुभकामनओं सहित...!
आपका मित्र
अनूप मणि त्रिपाठी
सम्पादक
व्यंग्यवार्ता
24, जहाँगीराबाद मेंशन, हजरतगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
09956789394, 09451907315

anoopmtripathi@gmail.com

atulbhashasamwad@gmail.com


लोकसंघर्ष के सभी मित्रों से अनुरोध है की लखनऊ से प्रकाशित व्यंग वार्ता पत्रिका में अपने लिखे व्यंग भेजने का कष्ट करें ।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

लो क सं घ र्ष !: नोबुल पुरस्कार विजेता नए अर्थशास्त्री ? पुराने ख्यालात की री पैकेजिंग

योरप केंद्रित बुद्धि फिर एक बार उजागर हुई जब स्वेडिस साइंस अकादमी ने अमेरिकी अर्थशास्त्री ऑलिवर विलियम्सन और एलिनर आस्त्राम को इस वर्ष के नोबेल पुरस्कार से नवाजा । सामूहिक संपत्ति और अर्थ प्रबंधन के क्षेत्र में तथाकथित नए सिद्धांत का आविष्कार के लिए इन दोनों अर्थ शास्त्रियो को नोबेल पुरस्कार दिया गया है। यह वैसा ही आविष्कार है, जैसा किसी समय किताब में छापकर स्कूली बच्चों को पढाया जाता था की कोलाम्बस और वास्को डी गामा ने भारत की खोज की, जबकि कोलंबस और वास्को डी गामा के पैदा होने के हजारो वर्ष पहले भी भारत अस्तित्व में था। योरप केंद्रित बुद्धि का यह एक नमूना है की जिस दिन योरापियों को भारत का रास्ता मालूम हुआ उसी दिन को वे भारत का आविष्कार मानते है।

सर्विदित है की नेपाल में तुलसी मेहर और भारत में गाँधी जी ने विकेन्द्रित स्वावलंबी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का समेकित सिद्धांत विकसित किया । इसका उन्होंने कई क्षेत्रो में सफल प्रयोग भी किया। इस साल जब गाँधी जी की मशहूर पुस्तक हिंद स्वराज के प्रकाशन के सौ वर्ष पूरे होने की स्वर्ण जयंती मनाई जा रही है, तब स्वेडिस साइंस अकादमी को दो अमेरिकी अर्थशास्त्री के हवाले से पता चलता है की भारत और नेपाल में सामूहिक संपत्ति का सामूहिक नियमन किस प्रकार किया जा रहा है । तुलसी मेहर ने, जिन्हें 'नेपाल का गाँधी' कहा जाता था और स्वयं गाँधी जी ने सरकार और कारपोरेट से विलग ग्रामवासियों के अभिक्रम जगाकर स्थानीय श्रोत्रो पर आधारित समग्र विकास का वैकल्पिक विकेन्द्रित स्वावलंबी ग्राम व्यवस्था का तंत्र विकसित किया था। अखिल भारतीय चरखा संघ इसका उदाहरण था, जिसका नेटवर्क पूरे देश में फैला । बाद में विनोबाजी ने इस व्यवस्था का प्रयोग 'ग्रामदान' आन्दोलन के मध्यम से किया। डेढ़ सौ साल पहले काल मार्क्स ने मूल प्रस्थापना पेश की की उत्पादक शक्तियों का स्वामित्व समाज में निहित होना चाहिए । मार्क्स उत्पादन की शक्तियों पर समाज का सामाजिक स्वामित्व स्वाभाविक मानते थे, क्योंकि पूरा समाज इसका परिचालन करता है सम्पूर्ण समाज के लिए। राष्ट्रीयकरण सामाजिक स्वामित्व का स्थान नही ले सकता। राष्ट्रीयकरण को स्टेट काप्लेलिज्म कहा जाता है। क्म्मयुनिज़म में राज्य सत्ता सूख जाती है, फलत: सरकार का कोई स्थान नही होता है। साम्यवादी अवस्था में उत्पादन और वितरण व्यवस्था की भूमिका समाज का स्थानीय तंत्र निभाएगा।

भारत के प्रत्येक ग्राम में सामूहिक इस्तेमाल के लिए 'गैर मजरुआ आम' जमींन है, जिसका सामूहिक उपयोग गाँव की सामूहिक राय से होती है। राष्ट्रीय सैम्पल सर्वे के मुताबिक भारत की कुल भगौलिक क्षेत्र का 15 प्रतिशत ऐसी ही सामूहिक संपत्ति है, जिसका सामूहिक उपयोग चारागाह , तालाब, सिंचाई और जलावन की लकड़ी इकठ्ठा करने के लिए किया जाता है। यह बात अलग है कि सरकारी नीतियों के चलते ऐसी सामूहिक संपत्ति का नियंत्रण या तो सरकार ने स्वयं अधिग्रहण कर लिया है या सरकारी हलके में उसका प्रबंधन इधर किसी निजी कंपनी/संस्थान के हवाले करने की सरकारी प्रवित्ति बलवती हो गई है।
नेपाल के कतिपय गाँवों की सिंचाई व्यवस्था मछली पालन, चारागाह, तालाब प्रबंधन देखकर आस्त्राम ने सिद्धांत निकला की "सामूहिक संपत्ति का प्रबंधन इस संपत्ति के उपभोक्ताओं के संगठनों द्वारा किया जा सकता है।" उसी तरह ऑलिवर विलियम्सन निष्कर्ष निकला है कि विवादों के समाधान के लिए मुक्ति बाजार व्यवस्था से ज्यादा सक्षम संगठित कंपनियाँ होती हैं । विलियमन कहते है की मुक्त बाजार में झगडे और असहमतियां होती हैं। असहमति होने पर उपभोक्ता बाजार में उपलब्ध अन्य वैकल्पिक उत्पादों की तरफ़ मुद जातें हैं , किंतु मोनोपाली मार्केट की स्तिथि में खरीदार के समक्ष कोई विकल्प नही रहता । ऐसी स्तिथि में संगठित ट्रेडिंग फर्म्स स्वयं विवाद का संधान करने में सक्षम होती हैं। इस प्रकार विलियम्सन मुक्त बाजार को नियमित करने के लिए कंपनियों की भूमिका रेखांकित करते हैं । कंपनियाँ आपसी सहमति का तंत्र विकसित कर बाजार के विरोधाभाषों पर काबू पा सकते हैं । यहाँ यह ध्यान देने की बात है की आस्त्राम और विलियम्सन दोनों ही सरकारी हस्तचेप और सरकारी नियमन की भूमिका नकारते हैं और वे मुक्त बाजार व्यवस्था के विरोधाभासों के समाधान के लिए पूर्णतया निजी ट्रेडिंग कंपनियों के विवेक पर निर्भर हो जाते हैं।

लोकतंत्र में आम लोगों की निर्णायक भूमिका होती है वे अपनी मर्जी की सरकार चुनते हैं । ऐसी स्तिथि में बाजार को विनियमित कमाने के लिए सरकार की भूमिका के अहमियत है। लोकतंत्र में सरकारी नियमन लोक भावना की सहज अभिवयक्ति है। किंतु इसे स्वीकार करने में दोनों अर्थशास्त्रियों को परहेज है। जाहिर है, स्वेडिस साइंस अकादमी मूल रूप में शोषण पर आधारित निजी व्यापार की आजादी का पक्षधर है और मुक्त बाजार व्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप का विरोधी है। इसलिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त दोनों ही अर्थशास्त्रियों की तथाकथित 'नई खोज' पूँजी बाजार समर्थक पुराने ख्यालात की री पैकेजिंग है।

सत्य नारायण ठाकुर

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

मगर शर्म इनको नहीं आती-बालको चिमनी कांड

सितम्बर  माह की २३ तारीख कई मजदूरों के लिए काल बनकर आई. कई घरों में घरों में अँधेरा कर गई, कईयों के घर का चिराग बुझा गई, अपरान्ह ३.४० मिनट को वेदान्त बालको पावर प्लांट विस्तार परियोजना कोरबा(छत्तीसगढ़)की निर्माणाधीन चिमनी धराशायी हो गई, जिसमे लग-भग-४५ मजदूरों की मौत हो गयी. कम्पनी का मालिक अभी तक फरार है.पुलिस उसे ढूंढ़ रही है. दूसरी चिमनी में भी घथिया निर्माण सामग्री लगे होने का आरोप लगने के पश्चात् आई.आई.टी रुढ़की एक प्रोफेसर जे.प्रसाद को दुर्घटना के बाद बालको प्रबंधन ने दुर्घटना के कारणों की पड़ताल करने के लिए बुलाया था और इस बालको के प्रायोजित प्रोफेसर ने आते ही आनन फानन में कह दिया कि आकाशीय बिजली गिरने के कारण यह दुर्घटना हुयी है. जब इस बयान पर हल्ला मचा कि बालको प्रबंधन के प्रभाव में आकर बिना किसी जाँच पड़ताल के दुर्घटना को प्राकृतिक हादसा बताया और दूसरी चिमनी को सुरक्षित घोषित कर दिया . पुलिस अधीक्षक रतनलाल दांगी ने इस बयान पर संज्ञान लेते हुए उन्हें नोटिस भेजा.जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि घटन स्थल पर जो जानकारी लोगों ने दी थी उसके आधार पर मैंने यह बयान दिया था.इस बयान की जबरदस्त प्रतिक्रिया हो रही है.किसी को समझ में नहीं आया कि एक सदस्यीय कमेटी ने एक बार ही निरिक्षण के बाद कैसे बालको प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी. आई.आई टी दिल्ली के प्रोफेसर डाक्टर एस.एस.सिन्हा की रिपोर्ट भी शक के दायरे में है. इन्होने भी जी.डी.सी.एल के द्वारा उपलब्ध करी जानकारी के आधार पर ही अंतिम निष्कर्ष दे दिया था. यह सब न्यायिक जाँच को भटकाने के लिए किया जा रहा है. क्या उन मृतकों के गरीब परिवारों को न्याय मिल पायेगा और दोषियों को सजा हो पायेगी. ये एक यक्ष प्रश्न है.इतने मज्दोरों की मौत के बाद इस दुर्घटना को प्रकितिक हादसा बताने इनको शरम नहीं आती. 

(चित्र नवभारत से साभार)

29.10.09

कपास सेदक कीट-स्लेटी भुंड

स्लेटी भुंड जिला जींद में कपास का नामलेवा सा हानिकारक कीट है। लेकिन "घनी सयानी दो बर पोया करै" अख़बारों में पढ़ कर अपनी फसल में कीडों का अंदाजा लगाने वाले किसानों की इस जिला में भी कोई कमी नहीं है। भारी ज्ञान के भरोटे तलै खामखाँ बोझ मरते थोड़े जाथर वाले किसान इस स्लेटी भुंड को ही सफ़ेद मक्खी समझ कर धड़ाधड़ अपनी फसल में स्प्रे करते हुए आमतौर पर मिल जायेगें। इसमें खोट किसानों का भी नहीं है। एक तो घरेलु मक्खी व इस भुंड का साइज बराबर हो सै। दूसरी रही रंग की बात। स्लेटी अर् सफ़ेद रंग में फर्क करना म्हारे हरियाणा के माणसां के बस की बात कोन्या। लील देकर पहना हुआ सफ़ेद कुर्ता भी दो दिन में माट्टी अर् पसीने के मेल से स्लेटी ही बन जाता है। इसीलिए तो रंगों व कीटों की पहचान का कार्य यहाँ के किसानों को बुनियाद से ही सिखने की आवश्यकता है। कीट ज्ञान व पहचान की बुनियाद पर ही कीट नियंत्रण का मजबूत महल खड़ा हो सकता है अन्यथा कीट-नियंत्रण रूपी रेत के महल पहले भी ताश के पत्तों की तरह ढहते रहे हैं और आगे भी ढहते रहेगें।यह स्लेटी भुंड कपास की फसल के अलावा बाजरा, ज्वार व अरहर की फसल में भी नुकशान करते हुए पाया जाता है। इस कीट का प्रौढ़ पौधों के जमीन से ऊपरले व गर्ब ज़मीन के निचले हिस्सों पर नुक्शान करता है। इस कीट की दोनों अवस्थाए पौधों की विभिन्न हिस्सों को कुतरकर व चबाकर खाती हैं। इस कीट का प्रौढ़ पत्तों या फूलों की पंखुडियों के किनारे नोच कर खाता है। यह पुंकेसर भी खा जाता है जबकि इसका गर्ब पौधों की जडें खाता है। कुलमिलाकर यह कीट कपास की फसल में अपनी उपस्थिति तो दर्ज कराता है मगर फसल में इसका कोई उल्लेखनीय नुकशान नहीं होता। इसीलिए तो इसे सफ़ेद मक्खी समझ कर किसानों को खेत में मोनो, क्लोरो, एसिफेट व कानफिडोर जैसे घातक कीटनाशकों के साथ लटोपिन होने की जरुरत नहीं होती। आतंकित हो कर भलाखे में किए गये कीटनाशक स्प्रे किसान व स्लेटी-भुंड, दोनों के लिए खतरनाक होते हैं।खानदानी परिचय: स्लेटी भुंड को द्विपदी प्रणाली मुताबिक कीट विज्ञानी माइलोसेर्स प्रजाति का भुंड कहते है इसके कुल का नाम कुर्कुलिओनिडि होता है। इस कीट की मादाएं पौण महीने की अवधि में लगभग साढे तीन सौ अंडे जमीन के अंदर देती हैं। इन अण्डों का रंग क्रीमी होता है जो बाद में मटियाला हो जाता है। अंडो का आकार एक मिलीमीटर से कम ही होता है। तीन-चार दिन की अवधि में अंड-विस्फोटन हो जाता है तथा इसके शिशु अण्डों से बाहर निकल आते है। इस कीट के शिशु जिन्हें विज्ञानी गर्ब कहते हैं, जमीन के अंदर रहते हुए ही पौधों की जड़े खाकर गुजारा करते हैं। मौसम के मिजाज व भोजन की उपलब्धता अनुसार इनकी यह शिशु अवस्था 40 -45 दिन की होती है। इन शिशुओं के शरीर का रंग सफ़ेद व सिर का रंग भूरा होता है। इनके शरीर की लम्बाई लगभग आठ मिलीमीटर होती है। स्लेटी भुंड का प्यूपल जीवन सात-आठ दिन का होता है। प्युपेसन भी जमीं के अंदर ही होतीहै। इसका प्रौढिय जीवन गर्मी के मौसम में दस- ग्यारह दिन का तथा सर्दी के मौसम में चार-पांच महीने का होता है। सर्दी के मौसम में यह कीट अडगें में छुपा बैठा रहता है। कपास की फसल में तो फूलों की शुरुवात होने पर ही दिखाई देने लगता है।

28.10.09

विश्वसनीयता किसने खोई - इ वि ऍम मशीन ने , जनता ने या फिर राजनेताओं ने !

हाल ही मैं तीन राज्यों के चुनाव परिणाम आने पर राजनीतिक पार्टियों द्वारा विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़ा किया गया जहाँ कोई वी एम मशीन की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर रहा है तो कोई जनता की विश्वसनीयता पर तो , वहीं जनता राजनेताओं की विश्वसनीयता पर पहले से ही प्रश्नचिंह खड़ा कर रही है अब किस बात पर कितनी सच्चाई है यह गौर करने वाली बात है
जहाँ वी एम् मशीन की विश्वसनीयता पर बात करें तो पहले भी इस बात पर सवाल खड़े किया जा चुके हैं। दूसरी ओर यह भी बात है कि वी एम् मशीन पूरी तरह छेड़ छाड रहित और त्रुटी रहित है ऐसा कोई प्रमाण भी अभी तक सार्वजानिक अवं प्रमाणिक रूप से नही दिया गया है जिससे यह साबित हो सके कि वी एम् मशीन को पूर्णतः त्रुटिरहित और अविश्वसनीय माना जा सके जब इस तरह की कोई वस्तु जो देश के निष्पक्ष जनमत संग्रह का माध्यम हो और लोकतंत्र क्रियान्वयन मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हो की विश्वसनीयता पर उंगली उठने लगे तो जरूरी है कि ऐसी बातों की अनसुनी करने की बजाय उठने वाली आशंकाओं एवं भ्रमों को विराम देने एवं अविश्वसनीयता को निराधार साबित करने हेतु प्रयास तो अवश्य ही किए जाने चाहिए
इस चुनाव मैं नई बात यह सामने आई की पक्ष मैं आशा अनुरूप और वांछित परिणाम मिलने पर राजनीतिक पार्टियों और राजनेताओं द्वारा जनता को अविश्वसनीय कहा गया जबकि जनता के निर्णय को सही और जायज मानते हुए उसे सिरोधार्य करने की परम्परा देश के लोकतंत्र मैं रही है एवं भविष्य मैं अपनी गतिविधियाँ और क्रियाकलापों पर आत्म अवलोकन करने और भूल सुधार करने की बात होती रही है किंतु अपनी असफलताओं का दोष जनता के सर मढ़ने का यह पहला बाकया है
इन दोनों बातों से इतर अब जनता की बात करें तो उनके लिए राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियाँ दिन प्रतिदिन अपने विश्वसनीयता खोती जा रही है जिस विशवास एवं आशा से जन प्रतिनिधि चुने जाते हैं उस अनुरूप ये अपनी जिम्मेदारी के निर्वहन मैं पूर्णतः खरे नही उतर रहे हैं एक बार चुने जाने के बाद अपने क्षेत्र मैं दुबारा मुड़कर नही देखना नही चाहते हैं , अपनी आय श्रोतो से अधिक उतरोत्तर वृद्धि करते हैं गरीबी , भ्रष्टाचार , एवं अशिक्षा , बेरोजगारी जैसे आम जनता से जुड़े मुद्दे पर बात करने की बजाय स्वयं एवं अपने पूर्वज नेताओं की मूर्तियों बनाने मैं , शहरों के नाम बदलवाने मैं , क्षेत्रियाँ वैमनष्य फैलाने मैं और छोटी छोटी बातों मैं धरना , जुलुश और हिंसक प्रदर्शन करने मैं आगे रहते हैं
यह अनसुलझा प्रश्न है कि विश्वसनीयता किसने खोई - वि ऍम मशीन ने , जनता ने या फिर राजनेताओं ने किंतु इन प्रश्नों का सर्वमान्य हल खोजना देश के लोकतंत्र के हित मैं अति आवश्यक है

गायब युगल फांसी के फंदे पर लटकता मिला


जींद (हरियाणा)
गांव सफाखेड़ी में संदिग्ध परिस्थितियों के चलते मंगलवार रात एक युगल की मौत हो गई। दोनों के शव गांव में ही चौबारे में फांसी के फंदे पर लटकते पाए गए। परिजनों ने घटना की सूचना पुलिस को दिए बगैर दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया। घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस तथा मीडियाकर्मियों को लाठियों, जैलियां, गंडासियों से लैस ग्रामीणों ने गांव में नहीं घुसने दिया। जब तक दोनों के शव पूरी तरह नहीं जल गए तब तक ग्रामीणों ने पूरे गांव की घेराबंदी जारी रखी। पुलिस अधीक्षक सतीश बालन तथा नरवाना के एसडीएम नरहरि बांगड़ उचाना थाना से ही स्थिति पर नजर रखे रहे। पुलिस ने युवक तथा युवती के परिजनों के खिलाफ हत्या तथा शवों को खुर्द बुर्द करने का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
गांव सफाखेड़ी निवासी नन्हू उर्फ नन्हड़ (२२) तथा गांव की ही युवती बिट्‌टू (२०) के बीच काफी समय से प्रेम प्रसंग चला आ रहा था। बिट्‌टू के परिजनों ने उसकी शादी गांव थुआ में तय की हुई थी। बृहस्पतिवार को बिट्‌टू की बारात आनी थी। मंगलवार शाम को बिट्‌टू शौच के लिए घर से निकली थी। उसके बाद वह गायब हो गई। काफी देर तक घर न लौटने पर बिट्‌टू के परिजन नन्हू के घर पहुंचे और बिट्‌टू के बारे में पूछताछ की। लेकिन नन्हू भी घर से गायब मिला। दोनों के परिजनों ने पूरी रात उनकी तलाश की। लेकिन उनका कोई सुराग नहीं लगा। बुधवार सुबह बिट्‌टू तथा नन्हू के शव नन्हू के चौबारे में पंखे पर फांसी के फंदे पर लटकते पाए गए।
ग्रामीणों ने दोनों के शवों को फांसी के फंदे से उतारकर शमशान घाट ले गए और पुलिस को इतलाह दिए बगैर अंतिम संस्कार कर दिया। न ही दोनों पक्षों की तरफ से किसी ने पुलिस को शिकायत दी। युगल की संदिग्ध मौत की सूचना पाकर पुलिस तथा मीडियाकर्मियों ने गांव में पहुंचने का प्रयास किया। मगर ग्रामीण लाठियां, जैलियां और गंडासी लेकर गांव से बाहर निकल आए और पुलिस तथा मीडियाकर्मियों को खदेड़ दिया। ग्रामीण तब तक गांव की घेराबंदी किए रहे जब तक दोनों केशव पूरी तरह नहीं जल गए। पुलिस गांव के दोनों और लगभग दो किलोमीटर दूर मुチय मार्ग पर खड़ी रही। बाद में पुलिस अधीक्षक सतीश बालन तथा नरवाना के एसडीएम उचाना थाना पहुंचे और गांव के कुछ मौजिज व्यक्तियों को बुलाकर उनके साथ पूरे प्रकरण पर बातचीत की। उधर, पुलिस ने दोनों पक्षों के लोगों केखिलाफ हत्या तथा शवों को खुर्द बुर्द करने का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

कर्जदार है सलमान

लोगो को जानकर हैरानी होगी कि सलमान इस समय कर्जदार है । यह उन्होंने फिल्म लंडन ड्रीम की टिकट बेचते हुए बताया । वे फिल्म के प्रमोशन के लिए दिल्ली आये हुए थे । उन्होंने बताया कि अभी तक उन्होंने इस फिल्म के मेहनताने के रूप् में एक पैसा भी नहीं लिया है । फिल्म ओवर बजट हो गई है क्योकि इसकी लडंन की शूटिंग में ही एक दिन में साढे नौ करोड खर्चा हो गया था । ज्ञात हो कि इस फिल्म को दिल्ली यू पी में फिल्म का वितरण कर रहे है कपूर फिल्म जो आज तक केवल एक अच्छे निर्माता के रूप में जाने जाते है । इसीलिए वे जानते है कि अपनी फिल्मों का प्रचार कैसे किया जाता है । 165 थिएटरों में एक साथ दिल्ली यू पी में वितरक के रूप में फिल्म को लगाकर मनमोहन कपूर बेहद उत्साहित है । उनके ही प्रयास से सलमान डिलाइट सिनेमा में प्रमोशन के लिए आये थे । इसी कडी में जल्द ही अजय देवगन भी दिल्ली आने वाले है । वैसे तो यह फिल्म पूरे भारत वर्ष में एक साथ रिलीज हो रही है पर इसकी सबसे ज्यादा धूम मचाने की उम्मीद की जा रही है दिल्ली यू पी में ।इस फिल्म के बारे में मनमोहन कपूर का मानना है कि यह इस वर्ष की सबसे बडी फिल्म होगी । यह मेघा बजट फिल्म लगभग 120 करोड की आंकी जा रही है । अशोक भाटिया,मुंबई

हयूज की प्रदेश ईकाई की बैठक 2 को

सिरसा(अमित सोनी)हरियाणा यूनियन आफ जर्नलिस्ट की प्रदेश ईकाई की बैठक 2 नवंबर को चंडीगढ़ के प्रैस क्लब में आयोजित होगी। यह जानकारी देते हुए हरियाणा यूनियन आफ जर्नलिस्ट के प्रदेश महासचिव बलजीत सिंह ने बताया कि इस बैठक में हरियाणा यूनियन आफ जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी.के राय, राष्ट्रीय महासचिव आत्म दीप सहित अनेक हसतियां शिकरत करेगीं। श्री सिंह ने बताया कि इस प्रदेश ईकाई की बैठक में अनेक मुद्दो पर विचार विमर्श किया जाएगा।

पत्रकारिता में महिलाओं की भूमिका पर कार्यक्रम 2 को

सिरसा(अमित सोनी)नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट के सहयोग से चंडीगढ जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा 2 नवंबर को चंडीगढ में पत्रकारिता में महिलाओं की भूमिका पर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए हयूज के जिला महासचिव धीरज बजाज ने बताया कि इस कार्यक्रम का उदद्याटन केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा द्वारा किया जाएगा। इस कार्यक्रम में मधु किश्वर, नौनिका सिंह, रेणूका नयैर, ननकी हंस द्वारा पत्रकारिता में महिलाओं की भूमिका पर विचार विर्मश किया जाएगा। उन्होंने बताया कि समापन अवसर पर पंजाब की सांसद हरसिमरत कौर बादल शिरकरत करेंगी। साथ ही पंजाब की स्वास्थय मंत्री लक्ष्मी कांता चावला भी विचार व्यक्त करेंगी। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए सरसा जिला की महिला पत्रकार या वे महिलाएं जो पत्रकारिता में रूची रखती है वे सरसा यूनियन पदाधिकारियों से संपर्क कर सकती है।

राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने नालों को ढकने की व्यवस्था करने के प्रति किया आग्रह: रमेश मेहता

सिरसा(प्रैसवार्ता)जीव-जन्तु कल्याण अधिकारी सिरसा एवं श्री मारूति गौधन सेवा समिति के प्रधान रमेश मेहता ने प्रशासन को राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने उन नालों को ढकने की व्यवस्था करने के प्रति आग्रह किया है जिनके कारण प्रतिदिन नगरवासी तथा गौधन दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। आज यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से श्री मेहता ने बताया कि डबवाली रोड पर स्थित भारतीय स्टेट बैंक की कृषि विकास शाखा के समीप एक नाला जिसके माध्यम से सीवरेज के पानी की निकासी शहर से बाहर की जाती है, लगभग 6 महीनों से खुला पड़ा है। यह नाला बहुत-सी ऐसी दुर्घटनाओं का कारण बन चुका है जिसके कारण कई शहरवासी घायल हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों इसी नाले में एक गाय गिरकर बुरी तरह से घायल हो गई थी जिसे उनकी समिति के सदस्यों ने भारी मशक्कत के बाद बाहर निकाला था तथा उस समय भी प्रशासन को इस मौत का कुँआ बन चुके नाले को ढकने की व्यवस्था करने के लिए निवेदन किया गया था लेकिन अभी तक प्रशासन नहीं चेता है जिसके चलते क्षेत्रवासियों तथा गौभक्तों में भारी रोष पाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्रवासी प्रशासन के इस नकारात्मक रवैये को देखते हुए शीघ्र ही एक बैठक कर विरोध करने के बारे में निर्णय लेने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि क्षेत्रवासियों और गौभक्तों का रोष फूटकर तीक्ष्ण रूप धारण कर ले, प्रशासन को चाहिए कि इस जानलेवा नाले को तुरन्त ढकने की व्यवस्थाा करे तथा लोगों के प्रति अपनी जिम्मेवारी का निर्वाह करे।

मैरिट छात्रवृति परीक्षा का आयोजन

सिरसा(प्रैसवार्ता)8 नवम्बर को विवेकानन्द वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिरसा में राष्ट्रीय निर्धनता सह मैरिट छात्रवृति परीक्षा का आयोजन करवाया जाएगा। इसी तरह 8 नवम्बर को ही राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिरसा में हरियाणा राज्य प्रतिभा खोज परीक्षा 2009-10 को आयोजन होगा। जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती आशा किरण ग्रोवर ने जानकारी देते हुए बताया कि इन परीक्षाओं में आठवीं में पढ़ रहे वे बच्चे बैठ सकेंगे जो अपना आवेदन 15 अक्टूबर तक जमा करवा चुके हैं।

वेबसाईट पर उपलब्ध होगा पुस्तकों का विवरण

सिरसा(प्रैसवार्ता)जिला ई लाईब्रैरी में उपलब्ध 18 हजार पुस्तकों के टाईटलों को ऑन लाईन किया जाएगा जिसमें पाठकों को लाईब्रैरी में उपलब्ध पुस्तकों का विवरण लाईब्रैरी की वेबसाईट पर उपलब्ध हो सकेगा।
लाईबै्ररीयन श्रीमती रचना दीवान ने यह जानकारी देते हुए बताया कि लाईबै्ररी में उपलब्ध पुस्तकों की जानकारी प्राप्त कर पाठक अपनी मन पसंद पुस्तक का चयन करके लाईब्रैरी से प्राप्त कर अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि पुस्तकालय में भी 12 कम्प्यूटर सैट स्थापित है जिनके माध्यम से लाईबै्ररी के सदस्य पुस्तकों के सभी टाईटलों की आसानी से जानकारी ले सकेंगे।

युवा उत्सव का होगा आयोजन

सिरसा(प्रैसवार्ता)3 से 6 नवम्बर तक हिसार में एकांकी एवं व्याख्यान विधा में राज्य स्तरीय युवा उत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस उत्सव में राज्य से 13 से 35 वर्ष की आयु वर्ग के कलाकर भाग ले सकते हैं।
खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस उत्सव में वे कलाकर भाग लेंगे जो जिला स्तरीय युवा उत्सव में एकांकी एवं मौके पर व्याख्यान विधा में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं। सभी प्रतियोगी अपनी-अपनी विधा से संबंधित वेशभूषा, वाद्य यंत्रसैट साथ लेकर आएंगे।
उन्होंने बताया कि युवा कलाकारों को 3 नवम्बर 2009 को सांय 4 बजे जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी हिसार को रिपोर्ट करनी होगी। इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल करने वाले कलाकार 8 से 12 जनवरी 2010 तक उड़ीसा में होने वाले राष्ट्रीय युवा उत्सव में प्रतिभागिता हेतु भेजा जाएगा।

युवा कार्यक्रम सलाहकार समिति की होगी बैठक

सिरसा(प्रैसवार्ता)30 अक्टूबर को कैम्प कार्यालय में उपायुक्त युद्धवीर सिंह ख्यालिया की अध्यक्षता में जिला युवा कार्यक्रम सलाहकार समिति की बैठक होगी। नेहरू युवा केंद्र के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बैठक में सलाहकार समिति के सदस्यों सहित लोकसभा सदस्य अशोक तंवर व जिला के विभिन्न विधानसा क्षेत्र के सभी विधायकों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में आमंत्रित किया गया है।

स्वामी विवेकानन्द युवा क्लब गोदिकां द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन

सिरसा(प्रैसवार्ता)रक्तदान पूजा समान है। स्वैच्छिक रक्तदान से बड़ा कोई पुण्य नहीं हो सकता। यह बात गत दिवस स्थानीय बात शिव शक्ति ब्लड बैंक के निदेशक डॉ० आर.एम. अरोड़ा ने नेहरू युवा क्लब के तत्वाधान में स्वामी विवेकानन्द युवा क्लब द्वारा आयोजित समारोह में वक्ताओं को सम्बोधित करते हुए कही। रक्तदान शिविर की शुरूआत क्लब प्रधान संजय महिया ने क्लब के अन्य सदस्यों अनिल महिया, गुलशन, सतीश कुमार, अनिल तनेजा, कालू राम, कृ ष्ण कुमार, संजय सहारण, दारा सिंह व मंगत राम के साथ रक्तदान करके की। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि इनेलो के जिला महासचिव गिरधारी लाल बसु ने ग्रामीणों से रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर कर क्लब के सदस्यों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक रक्तदान सुरक्षित रक्त की उपलब्ध्ता सुनिश्चित करता है। एक यूनिट रक्त किसी भी संकटग्रस्त जीवन को बचाने के महत्त्वपूर्ण होता है और दान द्वारा किसी अज्ञात व्यक्ति का जीवन बचाकर पुण्य कमाया जा सकता है। उन्होंने समारोह में उपस्थित ग्रामीण युवकों को स्वैच्छिक रक्तदान के महत्त्व से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक रक्तदान सुरक्षित रक्तदान को सबसे अच्छा जरिया है। यदि अधिक संख्या में स्वैच्छिक रक्तदानी आगे आते हैं तो पेशेवर रक्तदानी अपने आप निरूत्साहित हो जाते हैं। यह जानकारी देते हुए शिव शक्ति ब्लड बैंक के प्रेस-प्रवक्ता व कार्यकारी अधिकारी प्रेम कटारिया ने बताया कि इस कैम्प में शिव शक्ति क्लब नुहियांवाली से अनिल परिहार, गुरदीप व ग्रामवासियों ने भी भरपूर सहयोग दिया।

27.10.09

और चुनिए कांग्रेस को

कांग्रेस ने जीत का जश्न इस तरह मनाया
जीते थे कही और पर"किराया"यहाँ बढाया
लीजिये राजधानी दिल्ली में अब कही आना जाना भी महंगा हो गया एक तो मुलभुत आवश्यकताओ की वस्तुएं जैसे आटा,चावल,दाल,पेट्रोल सब्जी,फल, दूध इत्यादि पहले से मंहगे थे,अब सरकार ने किराया बढ़ा कर हम जैसे मध्यवर्गीय परिवारों वालो पर बिजली ही गिरा दी|अब तो यही लग रहा हैं की जैसे हमने इस सरकार को चुन कर बहुत बड़ी गलती कर दी|एक तरफ़ तो सरकार बड़े बड़े दावे कर रही हैं की हम दिल्ली को विश्वस्तर पर लाने का प्रयास कर रहे हैं वही दूसरी तरफ़ आम आदमी का दिल्ली में रह पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन भी करती जा रही हैं|पिछले छः महीनो में जिस प्रकार महंगाई बढ़ी हैं उससे तो यही लग रहा हैं |
हमने तो अब यही सोच लिया हैं की जब भी कोई हमसे महंगाई के बारे में बात करेगा हम तो यही कहेंगे की.................. और चुनिए कांग्रेस को........

लो क सं घ र्ष !: हिंदू आतंकी संगठनों की घुसपैठ

मालेगांव की आतंकी घटना में हिंदू आतंकी संगठनों के साथ सैन्य अधिकारियों का सम्बन्ध भी प्रत्यक्ष रूप से थाउसी प्रकार मडगांव (गोवा) विस्फोट में आरोपी कार्यकर्त्ता (हिंदू सनातन संस्था) ने बड़े-बड़े नेताओं, पुलिस अधिकारी सहित न्याय व्यवस्था में भी पकड़ मजबूत कर रखी हैमुख्य बात यह है कि गोवा विधि आयोग अध्यक्ष रमाकांत खलप गोवा के गृह मंत्री रवि नायक ने इस बात को बड़ी साफगोई से माना हैप्रश्न यह उठता है चाहे हिंदू आतंकी संगठन हो या अन्य आतंकी संगठन होअगर उनका प्रभाव सेना से लेकर न्याय व्यवस्था तक है और उनके अधिकारी इन संगठनों के आदेश से कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हैं तो देश के लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बनाये बचाए रखना मुश्किल होगासाम्राज्यवादी शक्तियां ऐसे संगठनों को मदद देकर देश को गृह युद्घ की स्थिति में झोंक देना चाहती है जिससे देश में हमेशा अशांति बनी रहेदूसरी तरफ़ पुलिस विभाग के लोग फर्जी एनकाउंटर करके जनता में वाहवाही लूटने का काम करते हैंअभी लखनऊ में एनकाउंटर विशेषज्ञयों की फायरिंग प्रक्टिस में निशाने टारगेट पर लगे ही नहीआतंकवाद का दमन करने के नाम पर बने सरकारी सशस्त्र बल भी फर्जी घटनाओ के आधार पर ही वाहवाही लूट रहे हैंपुलिस के एक क्षेत्राधिकारी ने अपने सरकारी असलहे से हाथी के ऊपर गोलियाँ चलाई थी और एक भी गोली हाथी को नही लगी थी । इससे यह साबित होता है कि यह लोग लोगों को पकड़ कर एनकाउंटर के नाम पर उनकी हत्या कर रहे हैं। आज जरूरत इस बात की है कि इन आतंकी सगठनों के ख़िलाफ़ ईमानदारी से वैचारिक स्तर से जमीनी स्तर तक संघर्ष की आवश्यकता है अन्यथा विदेशी साम्राज्यवादी शक्तियां इस देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुँचा सकती है

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

26.10.09

लो क सं घ र्ष !: इलाहाबाद चिट्ठाकार सम्मलेन: आरोप-प्रत्यारोप का बहाना

इलाहाबाद में हिन्दी चिट्ठाकारों का जमावडा हुआजिसमें हिन्दी चिट्ठाकारी से सम्बंधित पुस्तक का विमोचन हुआइस कार्यक्रम का आयोजन महात्मा गाँधी अन्तराष्ट्रीय विश्विद्यालय वर्धा हिन्दुस्तान अकादमी इलाहाबाद ने किया थाहिन्दी चिट्ठाकारों ने इस आयोजन के बहाने सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ. नामवर सिंह से लेकर हर तरह की व्यवस्था-अव्यस्था के सम्बन्ध में चिट्ठाकारी की है जिसमें व्यक्तिगत भड़ास से लेकर आरोप-प्रत्यारोप विगत इतिहास शामिल हैइस तरह से लगता यह है की किसी भी हिन्दी चिट्ठाकारों के आयोजन में शामिल होने वाला नही हैइस में शामिल होने का मतलब चिट्ठा जगत में अपने सम्बन्ध में तमाम आवश्यक और अनावश्यक विवाद को शामिल कर लेना हैइलाहाबाद की हिन्दुस्तान अकादमी महात्मा गाँधी अन्तराष्ट्रीय विश्विद्यालय वर्धा ने यह आयोजन करके हिन्दी चिट्ठाजगत को सम्मान ही प्रदान किया है और इसमें प्रमुख चिट्ठाकार सर्वश्री रविरतलामी, मसिजिवी, अनूप, प्रियंकर, विनीत कुमार ने भी रचनात्मक समझ के साथ ही आयोजन में शिरकत की होगी। शायद उन्होंने भी इस आरोप प्रत्यारोप के बारे में सोचा न होगा. इस कार्य से हिन्दी चिट्ठाजगत को महत्व मिला है किंतु अंतरजाल पर अब रही अनावश्यक बहस हिन्दी चिट्ठाजगत की छुद्र मानसिकता को प्रर्दशित कर रही हैअच्छा यह होता कि अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप करने कि बजाये जैसा वह उचित समझते हैउसी तरीके का कार्यक्रम कर डालेंकिसी रेखा को छोटा करने से अच्छा है कि उससे बड़ी रेखा खींच दी जाए इस सम्बन्ध में यह पंक्तियाँ महत्वपूर्ण है :-

'कैसे उनके रिश्तें है कैसे ये पड़ोसी हैं ,
भीगती हैं जब आँखें होंठ मुस्कुरातें है
क्या अजीब फितरत है इस जहाँ में बौनों की,
बढ़ तो ख़ुद नही सकते, कद मेरा घटाते है

यौन रूझान जानने के लिए प्राईवेट जासूसों की मदद

नई दिल्ली(प्रैसवार्ता) माननीय न्यायालय द्वारा व्यस्कों के बीच सहमति से बनये जाने वाले समलैंगिक संबंधों को वैद्य घोषित किये जाने के निर्णय से समाज के विभिन्न-विभिन्न वर्ग प्रभावित होने लगे हैं और उन्होंने अपने विवाह योग्य बच्चों के यौन रूझान का पता लगाने के लिए प्राईवेट जासूसें की मदद लेनी शुरू कर दी है। न्यायालय निर्णय उपरांत ऐसे लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हो गई है, जो अपने जीवन साथी या भावी जीवनसाथी के समलैंगिक होने के शक के आधार पर उसकी जानकारी लेने के लिए जासूसों की मदद ले रहे हैं। दूसरी ओर बच्चों के शादी से इंकार करने पर माता-पिता के मन में यह आशंका उत्पन्न होने लगी है कि कहीं उनका बच्चा संमलिंगी तो नहीं, इसलिए उनका रूझान भी जासूसों की तरह होने लगा है। दिल्ली स्थित एस्कान डिटेक्टिव्स प्रा. लिमिटेड के निदेशक संजय कपूर ने ''प्रैसवार्ता'' को बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय उपरांत अभिभावकों में जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने बताया कि पति-पत्नी के बीच कई तरह के जासूसी के कुछ मामले पहले भी सामने आये थे, परन्तु वर्तमान में ऐसे अभिभावकों की संख्या ज्यादा है, जिनके बच्चों ने शादी से इंकार कर दिया है। अभिभावक यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उनके बच्चे के किसी के साथ समलैंगिक संबंध तो नहीं हैं। मुंबई स्थित ऐ.इ.सी इवेस्टिगेशन की बिजनैस हैड भारती ने ''प्रैसवार्ता'' को दूरभाष पर बताया कि संमलैगिकता की जांच के लिए प्रीमैट्रिमोनियल मामलों में निरंतर वृद्धि हो रही है। लड़के तथा लड़कियां अपने भावी जीवन साथी के प्रति खासी सावधानी बरत रहे हैं। अपने साथी के प्रति ऐसी जानकारी लेना भविष्य में काफी लाभांवित हो सकता है, क्योंकि बाद में परिवारिक दिक्कतें नहीं आती। भारती के अनुसार उनकी टीम पार्टियों, डिस्कों और ऐसे स्थानों पर जाकर जासूसी करते हैं और वहां से जानकारी जुटाकर ग्राहकों को उपलब्ध करवाई जाती है। पहले ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों द्वारा मादक पदार्थों के सेवन की जांच के लिए संपर्क करत थे, परन्तु अब समलैगिंक संबंधों की आशंका के चलते जांच करवाते हैं। जासूसी का यह व्यवसाय महानगरों से शुरू होकर ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचने लगा है।

डॉ. 'पाठक' को 'सरस्वती साहित्य सम्मान' मिला

जींद(प्रैसवार्ता) न्यूजपेपर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष, स्थानीय लब्ध प्रतिष्ठ, साहित्यकार, पत्रकार एवं कवि कुलाचार्य, हिन्दी साहित्य प्रेरक संस्था के पूर्व प्रधान एवं 'रवीन्द्र ज्योति' मासिक पत्रिका के सम्पादक डॉ. केवल कृष्ण पाठक को उनके सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं कला के क्षेत्र में किए गए सृजनात्मक कार्यों तथा अपने व्यक्तित्व कृतित्व से देश व समाज को गौरवान्वित करने की भावना से प्रभावित होकर सरस्वती साहित्य वाटिका श्रीराम मार्ग (खजनी) गोरखपुर (उ.प्र.) द्वारा प्रेमचंद जयंती के अवसर पर 'सरस्वती साहित्य सम्मान-2008Ó से सम्मानित किया गया। श्री रामकृपाल गुप्त 'संस्था के अध्यक्ष ने डॉ. पाठक की दीर्घायु, सबलता तथा सदासयता की कामना करते हुए उनके जीवन पर्यन्त अपने व्यक्तित्व के माध्यम से देश व समाज में समता एवं सामजस्य स्थापित करने में समर्पित रहने की कामना की। इससे पहले हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा सम्मेलन के स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित अयोध्या नगरी में सम्पत्यस्यमान अनुष्ठान एवं अखिल भारतीय विद्धत सम्मेलन में अन्न्तश्री विभूषित शंकराचार्य, ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज के कर कमलों द्वारा 'सारस्वत सम्मान' प्रदान किया गया। इस आयोजन में जींद के त्रिलोक चपल संपादक त्रिवाहिनी के साथ भरत भर से आए अन्य विद्वान साहित्यकार कवियों को भी सम्मानित किया गया। आगामी 31 अक्तूबर 2009 को पंजाब कला साहित्य अकादमी (रजि.) जालन्धर (पंजाब) के वार्षिक अधिवेशन में डॉ. पाठक को 'प्रतिष्ठाजनक विशेष अकादमी सम्मान' देने का निर्णय लिया गया है। साहित्य के प्रति आपका असीम उत्साह एवं असीम श्रद्धा का ही यह प्रतिफल है कि आपको देश के राजस्थान, बंगलोदश, छत्तीसगढ़, दिल्ली आदि भिन्न-भिन्न स्थानों से 78 अलंकारों से सम्मानित किया जा चुका है। आपको साहित्य रत्न, साहित्य मनीषी, राजभाषा मनीषी, हरियाणा रत्न, साहित्य सौरभ आदि मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया है। आपके सम्मानित होने का रथ यहीं पर नहीं रूका, अपितु अभी तक अविरल गति से चलायमान है। साहित्य सेवी संस्था उचाना में आपको 'सजग प्रहरी', श्री अंगिरा शोध संस्थान जींद ने 'संवाद रत्न' एवं साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा (राज.) ने सम्पादक शिरोमणी तथ सिरमौर कला संगम (हिमाचल प्रदेश) ने आपको डॉ. परमार पुरस्कार तथा कर्मवीर नामक उपाधियों से विभूषित किया है। सम्मान प्राप्ति पर शहर के प्रबुद्ध गणमान्य व्यक्ति दैनिक जगत क्रान्ति के महाप्रबंधक अजेय भाटिया, गंगापुत्रा टाइम्स (सांध्य दैनिक) के संपादक राजेन्द्र गुप्त, मासिक पत्रिका अंगिरापुत्र के संपादक श्री रामशरण युयुत्सु, त्रिवाहिनी त्रैमासिक के संपादक त्रिलोक चपल, हरबंस रल्हन निर्मोही, पवन कुमार उप्पल, रमेश रल्हन, राजेन्द्र मानव, बाल मुकुन्द भोला, ओ.पी. चौहान, नरेन्द्र अन्नी, बी.एन. तिवारी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ. पाठक को बधाई दी।



पद पर रहते हुए भी पार्षद, सरपंच व पंच नहीं कहला रही महिलाएं

सिरसा(प्रैसवार्ता) राज्य के जिला सिरसा की अधिकांश निर्वाचित महिला पार्षद, सरपंच व पंच विजयी होने उपरांत भी स्वयं को पार्षद, सरपंच या पंच कहलाने का गौरव प्राप्त नहीं कर सकीं, क्योंकि इनके पति, ससुर, जेठ व देवर आदि ही सरपंच, पंच व पार्षद कहलाते हैं। एकत्रित किये गये विवरण अनुसार सरकारी तथा गैर-सरकारी, राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के समारोह इत्यादि में महिलाएं पंच, सरपंच व पार्षद होने पर भी भाग नहीं लेती, बल्कि उनके परिवारजन ही भागीदारी करते हैं। महिलाएं खेतों-खलिहानों, कारखानों, अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, सरकारी कार्यालयों में मजदूर, नर्स, शिक्षक, क्लर्क व अधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है, परंतु ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को राजनीतिक रूप से ऊपर उठना स्वीकार नहीं किया गया है। वर्तमान में ग्रामीण समाज का परम्परावादी समाज तथा रूढि़वादी दृष्टिकोण यह मानकर चल रहा है कि नारी जीवन की सार्थकता ममतामयी मां, आज्ञाकारी बहू, गुणवती पुत्री तथा पतिनारायण पत्नी होने में है। नारी भोजन बनाने, घर को सजाने-संवारने से लेकर बच्चों के कपड़े सिलाई करने इत्यादि सहित हर काम में निपुण हों। महिलाओं और उनके कार्यों को पुरुषों की नजर से ही देखने का परिणाम है कि पार्षद, सरपंच या पंच निर्वाचित होने उपरांत भी महिलाओं की चेतना में कोई बदलाव नहीं आया है। जिला सिरसा के शहरों, कस्बों तथा ग्रामों में चुनावी पद्धति अनुसार अनुसूचित पिछड़ी तथा जनजाति की, जो महिलाएं चुनी गई हैं, उनमें दिहाड़ी मजदूर से लेकर संपन्न परिवारों से हैं, मगर बिड़म्बना देखिये कि न तो दिहाड़ी मजदूर को पार्षद, सरपंच व पंच कहलवाने का अवसर मिला है और न ही कोई चौधराइन, पार्षद सरपंच या पंच कहलाने का गौरव प्राप्त कर पाई है। अधिकांश पार्षद, सरपंच व पंच निर्वाचित महिलाएं पूर्ववत: घर, गृहस्थी, कृषि व रोजमर्रा के अन्य कार्य जारी रखे हुए हैं तथा ज्यादातर को अपने अधिकारों तथा पंचायतीराज के नियमों बारे कोई जानकारी नहीं है। कुछ महिलाएं तो जन-प्रतिनिधि चुने जाने उपरांत भी घूंघट में रहती हैं तथा अगूंठा टेक हैं, जबकि कुछ के हस्ताक्षर या अंगूठा उसके पति, ससुर, देवर-जेठ या अन्य परिवारजन लगा देते हैं। कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि जब कोई सरकारी गैर-सरकारी या सामान्य व्यक्ति किसी महिला पार्षद, सरपंच या पंच से मिलना चाहे तो परिवारजन मिलने नहीं देते। कुछ जन-प्रतिनिधि महिलाएं जरूर सक्रिय हैं। महिला प्रतिनिधियों की इस दशा का कारण समाज में व्याप्त पुरुष प्रधान मानसिकता तो हैं, परंतु उनका निरक्षर होना भी एक मुख्य कारण है। महिला प्रतिनिधियों के इस आरोप में भी सत्यता है कि उनके परिवारजन उन्हें आगे नहीं आने देते और न ही बैठकों में जाने देते हैं। यही कारण है कि वे निरंतर पिछड़ रही हैं। उनका मानना है, कि जब तक महिला जन-प्रतिनिधि स्वयं जागृत नहीं होंगी, उनके बूते दूसरी महिलाओं में भी चेतना की आशा नहीं की जा सकती। कुछ जन-प्रतिनिधि महिलाएं पुन: चुनाव के पक्ष में नहीं है, क्योंकि विजयी होकर भी उन्हें घर की चारदीवारी तक सीमित रहना पड़ता है। पुराने विचारों के लोग विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के आगे आने के पक्षधर नहीं है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि महिलाओं का राजनीति में दखल युगों से सत्ता में स्थापित पुरुष वर्ग को हजम नहीं होता। समाज महिलाओं को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में नहीं, बल्कि उस समाज के बीच रखकर देखता है, जो पुरुषों द्वारा निर्मित है। पुरुषप्रधान समाज में नारी की भूमिका घर-परिवार तक ही सीमित है और यह माना जाता है कि नारी घर की चारदीवारी में ही शोभा देती है। महिलाएं भले ही कुछ करना चाहती हों, मगर उनके भी विवशता होती है, क्योंकि पुरुष प्रधान समाज है। इसी प्रकार से निर्वाचित होकर भी महिलाएं उन प्रतिनिधि मात्र नाक की होकर रह गई हैं।

ब्यूटी पार्लर बनते जा रहे हैं देह व्यपार के अड्डे

चंडीगढ़/दिल्ली(प्रैसवार्ता) देश की राजधानी दिल्ली, हरियाणा-पंजाब तथा चंडीगढ़ की राजधानी चंडीगढ़ में देह व्यापार माफिया ने सिर्फ दस्तक दे दी है, बल्कि अपने ठिकाने बनाने में सफल हो रहे हैं। चंडीगढ़ से दिल्ली बजरिया करनाल, पानीपत तथा दिल्ली से चंडीगढ़ इसी मार्ग से देह व्यापारियों की सप्लाई हो रही है। ''प्रैसवार्ता'' को मिली जानकारी अनुसार देह व्यापार माफिया ने पानीपत को मुख्य केन्द्र चुना है और ज्यादातर ब्यूटी पार्लरों से संपर्क स्थापित कर लिया है। कुछ ब्यूटी पार्लरों ने इस धंधे में बढ़ौत्तरी के लिए इन्फार्मर भी रखे हैं, जो घूम फिर कर ऐसी महिलाओं, लड़कियों को बहला-फुसलाकर गिरोह के लिए काम करने को तैयार करते हैं। विधवाएं, तलाकशुदा महिलाएं, गरीब परिवारों से संबंधित महिलाएं व लड़कियां देह व्यापार की तरफ रूझान करने लगी हैं-जिनमें कुछ तो मजबूर हैं, जबकि कुछ अपनी देहित भूख मिटाने के लिए इस गिरोह में शामिल हो रही हैं और ब्यूटी पार्लर उनकी पहली पसंद है। ब्यूटी पार्लर की आड़ में सैक्स रैकेट के कई मामले उजागर भी हो चुके हैं, मगर फिर भी देह व्यापार का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा, क्योंकि ज्यादातर ब्यूटी पार्लरों को रंगीन मिजाज राजनेताओं तथा सरकारी तंत्र का संरक्षण प्राप्त है। आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि दिल्ली तथा चंडीगढ़ में संपन्न घराने की महिलाएं भी क्षणिक यौन संतुष्टि के लिए न सिर्फ अपने जीवन साथी के विश्वास का हनन हैं, बल्कि देह व्यापार माफिया को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो रही हैं। सीता, मदालसा, सावित्री, अनुसूईया जैसी चरित्रवान नारियों के देश में जन्म लेने वाली आज की नारी में चरित्र का निरंतर हास होता चला जा रहा है और वर्तमान की नारी सैक्स भूख को एक आवश्यक भूख मानते हुए तथा जायका बदलने के लिए किसी भी लछमण रेखा को लांघने के लिए तैयार दिखाई देती नजर आने लगी है।

हुड्डा सरकार के सामने कई चुनौतियां

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) भले ही प्रदेश की चौधर फिर से रोहतक में रहने का गर्व जाट लैंड को मिल गया है, लेकिन मुख्यमंत्री के सामने कई नई चुनौतियां होंगी। कांग्रेस के बाहर मौजूद विपक्ष ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के भीतर विरोधी भी उन पर विकास के लिहाज से केवल रोहतक पर ध्यान देने का आरोप लगाते रहे हैं। इस छवि को सुधारने और विपक्ष और विरोधियों को खामोश करने के लिए एक बड़ी चुनौती उनके सामने प्रदेश में समान और सर्वतत्र विकास की मिसाल पेश करना रहेगी। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और उनकी बीते साल की सरकार अपने बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल में निरंतर ये दावा करती रही है कि आने वाले डेढ़ साल में प्रदेश की जनता को न केवल 24 घंटे भरपूर बिजली मिलेगी, बल्कि हरियाणा इतनी बिजली पैदा करेगा, के सरप्लस हो जाएंगे। अब इम्तिहान की घड़ी आ पहुंची है। हुड्डा सरकार पर डेढ़ साल के भीतर भरपूर बिजली पैदा करने की क्षमता हासिल करने के साथ ही सरप्लस के दावे को हकीकत में बदले का दबाव रहेगा। ये बड़ी चुनौती हुड्डा सरकार के समक्ष मुह बाए खड़ी है। महंगाई को मुद्दा बनने के चलते ही कांग्रेस को 40 पर सिमटना पड़ा। ये फौरी चुनौती भी सरकार के लिए रहेगी। राज्य में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन का ऐलान हरियाणा दिवस पर करने का वायदा प्रदेश की जनता से किया था, इस पर भी उन्हें अग्रि परीक्षा से गुजरना होगा। हरियाणा के एडवोकेट जनरल की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट पक्ष में आने के बाद हुड्डा ने इसकी घोषणा की बात कही थी। लिहाजा एक नवंबर आने में चंद दिन शेष हैं। कमेटी के गठन की घोषणा एक नवंबर को हरियाणा दिवस पर हुड्डा करते हैं या नहीं ये देखने वाली बात रहेगी। इस निर्णय का उन पर लंबे अर्से से दबाव है। हांसी बुटाना नहर में पानी लाने की चुनौती भी है। इसके अलावा बेरोजगारों की फौज नौकरियों के लिए सरकार और प्राइवेट संस्थानों की तरफ आंखें लगाए बैठी है।

किस प्रत्याशी को कहां से मिली बढ़त

निर्दलीय गोपाल कांडा विजयी- आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे गोपाल कांडा को ग्राम केलनियां (बूथ 1 व 2), सिरसा टाऊन के बूथ नं. 4, 7, 8, 12, 13, 16, 19, 19ऐ, 21, 22, 23, 25, 26, 28, 29, 30, 31, 33, 34, 35, 39, 40, 41, 44, 46, 49, 52, 53, 54, 54ऐ, 55, 56, 57, 37ऐ, 58, 59, 62, 63, 64, 65, 66, 67, 68, 69, 70, 70ऐ, 71, 71ऐ, 73, 73ऐ, कंगनपुर (75ऐ), खाजा खेड़ा (76), रामनगरिया (77), मोहम्मदपुर (78), नटार (79 तथा 80), शाहपुर बेगू (82-83), बाजेकां (85), कुसम्बी (90), जोधकां (92), डिंग (96), शेरपुरा (101-2), ताजिया खेड़ा (103)पर मतदाताओं ने बढ़त दी है- जबकि भाजपा प्रत्याशी रोहताश जांगड़ा को किसी भी बूथ पर 60 का आंकड़ा मतदाताओं ने पार करने से रोक दिया।
इनैलो प्रत्याशी पदम जैन: को सिरसा टाऊन के बूथ नं. 9, 11, 12, 13ऐ, 14, 17, 17ऐ, 18, 18ऐ, 20ऐ, 24, 27, 32, 36, 37, 38, 50ऐ, 74, 74ऐ, शमशाबाद (3), बाजेकां (85-86), फूलकां (85-88), कंवरपुरा (89-89ऐ), शाहपुर बेगू (81, 81ऐ, 82ऐ), जोधकां (91), मोची वाली (94-95), डिंग (96, 97, 98, 99), नेजिया खेड़ा (105), मोडिया खेड़ा (108), धिंगतानियां (110), साहूवाला-2 (112), नारायण खेड़ा (114), कैरांवाली (115-115ऐ), नहराना (116-117) से बढ़त मिली-जबकि हजकां प्रत्याशी मेहता वीरभान सिरसा टाऊन के बूथ 47, 50, 61 पर दूसरे तथा 51 पर पहले स्थान पर रहे।
कांग्रेस प्रत्याशी लछमण दास अरोड़ा को सिरसा के बूथ नं. 5, 6, 10, 15, 16, 19ऐ, 20, 21, 24ऐ, 28, 28ऐ, 30, 39, 42, 43, 45, 46, 47, 48, 50, 60, 60ऐ, 61, 63, 69ऐ, शाहपुर बेगू (81, 81ऐ, 82, 82ऐ, 83), कुकड़थाना (100), अली मोहम्मद (104), रंगड़ी खेड़ा (106), शहीदावाली (107), चौबुर्जा (109) तथा चाडीवल (111) से बढ़त मिली। (कृप्या सरकारी नोटिफिकेशन से मिलान कर लें, क्योंकि हो सकता है, इसमें कोई त्रुटि रह गई हो- संपादक)

असुरक्षित नॉर्थ ईस्ट की लडकियां

आज राजधानी दिल्ली के मुनिरका इलाके में एक लड़की जिसका नाम" हैती" बताया जाता हैं उसकी जली हुई लाश मिली,लडकी नॉर्थ ईस्ट की रहने वाली थी और अपनी बहन से मिलने दिल्ली आई हुई थी|यह ख़बर महज एक ख़बर के रूप में देखी जा सकती हैं पर ज़रा इस हादसे के पीछे देखे तो क्या ऐसा नही लगता की इस तरह के हादसे (बलात्कार व हत्याए)ज्यादातर नॉर्थ ईस्ट की लड़कियों के साथ या फ़िर अल्प संख्यक लोगो के साथ ही क्यों होते हैं |

भारतवर्ष वैसे तो धर्मनिरपेक्ष राज्य हैं परन्तु फ़िर भी इसमे कुछ जाति व धर्म को लेकर कुछ लोग अपने पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं जो की इस तरह की घटनाओ को न सिर्फ़ अंजाम देते हैं बल्कि इन्हे दबाने का प्रयास भी करते हैं |हैती के घर वालो को भी रिपोर्ट लिखवाने के लिए अपने समुदाय के लोगो को इकठ्ठा करना पड़ा क्यूंकि पुलिस रिपोर्ट नही लिख रही थी| जो कोई भी इस तरह की घटनाओ को अंजाम देता हैं वह अच्छी तरह जानता हैं की इस तरह की घटनाओ की रिपोर्ट पुलिस लिखेंगी नही क्यूंकि यहाँ पीड़ित या तो अल्पसंख्यक हैं या तो फ़िर नॉर्थ ईस्ट का ऐसे में ज्यादा से ज्यादा क्या होगा पहले तो केश ही नही बनेगा अगर किसी कारणवश बन भी गया तो क्या होगा जब तक केश चलेगा अपराधी को ज़मानत मिल ही जायेगी जिससे वह आजाद हो ही जाएगा और फ़िर कोई गुनाह करेगा |

पिछले एक महीने में इस तरह के कई वाकये हो चुके हैं (महिपालपुर,जामिया,मौडल टाऊन,जनपथ) जिनमे अधिकतर पीड़ित नॉर्थ ईस्ट की लड़किया ही थी कारण यह भी हैं की उन्हें आसानी से उपलब्ध यानी "ईसिली अवेलेबल"समझा जाता हैं इसका जीता जागता उदाहरण बहुचर्चित फ़िल्म "चक दे"में दिखाया गया हैं |सरकार को चाहिए की इस विषय में गंभीरता से सोचविचार कर कोई शख्त कानून बनाये जिससे यह अल्पसंख्यक व नॉर्थ ईस्ट के लोग भारत को अपना घर ही समझे अन्यथा यह लोग अपने देश में ही कही परायेपन को महसूस करने लगेगे जिसके गंभीर परिणाम हमें बाद में भुगतने पड़ेंगे|

25.10.09

लोकसंघर्ष :पाकिस्तानी कहानी

भगवान दास -4

रात आँखों में कटी। सूरज निकला। धूप पहाड़ों की चोटियों से फैलती हुई नीचे उतरने लगी। सुबह हो गयी। वे कमर कसकर बक्कल के स्थान पर पहुँच गये। वे निहायत जोशो-ख़रोश से नारे लगा रहे थे। ढोल बजा रहे थे। पगड़ियाँ उछाल रहे थे। हाथों में दबे हुए हथियारों को सरों से ऊपर उठाकर लहरा रहे थे। तरह-तरह से खून को गरमा रहे थे। अपने हौसले बुलन्द से बुलन्दतर कर रहे थे। बलूचों की युद्ध संहिता में यह मुगदर मारना था।
वे कुछ देर तक आमने-सामने खडे़ रहे। मुगदर खींचकर अपनी ताक़त और दुस्साहस का प्रदर्शन करते रहे; फिर तलवारें सूँतकर और कुल्हाड़ियाँ और दूसरे हथियार सँभालकर वे आगे बढे़ और दाढ़ियाँ दाँतों तले दबाकर भयानक गुस्से के आलम में एक-दूसरे पर टूट पडे़। तलवार तलवार से और कुल्हाडी़ कुल्हाडी़ से टकरायी। गर्द के बादल उठे। फ़िजा़ धुआँ-धुआँ हो गयी। नारे बुलन्द से बुलन्दतर होते गये। शोर बढता गया। हर तरफ़ ख़ून के छींटे उड़ने लगे।
ग़ज़ब का रन पडा़। मगर बहुत ज़्यादा ख़ून-ख़राबे की नौबत न आयी। हुआ यह कि लडा़ई शुरू होते ही एक हिन्दू चीख़ता-चिल्लाता, दुहाई देता एक ओर से प्रकट हुआ और तेजी़ से दौड़ता हुआ क़रीब पहुँच गया। उसका नाम भगवानदास था। अधेड़-उम्र था। सिर और दाढी़ के बाल खिचडी़ थे, मगर जिस्म मज़बूत था। क़द ऊँचा था। पेशे के एतबार से वह दरखान था, यानी बढ़ई होने के साथ-साथ राजगीर का काम भी करता था और पड़ोस की बस्ती कोटला शेख़ में रहता था। उसके इलावा कोटला शेख़ में हिन्दुओं के चन्द और खा़नदान भी आबाद थे जो खेती-बाडी़ करते थे, भेड़ चरवाही करते थे या भगवानदास दरखान की तरह मेहनत-मज़दूरी करते थे।
भगवानदास दरखान भाग-दौड़ करने के बाद बुरी तरह हाँफ रहा था। उसका चेहरा पसीने से सराबोर था। उसकी पगडी़ खुलकर गले में आ गयी थी। सिर के लम्बे-लम्बे बाल बिखरे हुए थे। हक्कल की इत्तिला सूरज निकलने से पहले ही उसे मिल गयी थी। इत्तिला मिलते ही वह तारों की छाँव में घर से निकल खड़ा हुआ। उसने हक्कल के मुकाम पर जल्द से जल्द पहुँचने की कोशिश की और गिरते-पड़ते समय से पहुँचने में कामयाब भी हो गया। उसने निहायत दुस्साहस और बेबाक़ी का प्रदर्शन किया। अपनी जान की बाज़ी लगाकर वह बेधड़क लड़नेवालों की पंक्तियों में घुस गया। मेढ़ करने के लिए चीख़-चीख़कर दुहाई देता रहा और उनके दरमियान चट्टान की तरह तनकर खड़ा हो गया। उसने दोनों हाथ बुलन्द किये। तलवारों और कुल्हाड़ियों के वार हाथों पर रोके। वह ज़ख़्मी हुआ और ज़ख़्मों से निढाल होकर गिर पड़ा।
उसने मार-धाड़ बन्द कराने के लिए यह हथियार आज़माया था, जिसे बलूची में मेढ़ कहा जाता है। भगवानदास दरखान हिन्दू था और चूँकि हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, लिहाज़ा मुसलमान बलूच अपनी श्रेष्ठ क़बाइली परम्परा के मुताबिक उनकी जानो-माल का इस हद तक ख़याल रखते हैं कि उनको ऐसा समझा जाता है कि किसी को म्यार बनाने के बाद उसका खून बहाना या किसी तरह की तकलीफ़ पहुँचाना बलूचों की क़बाइली आचार संहिता की दृष्टि से अत्यन्त घृणित और जवाबी कार्रवाई जैसा माना जाता है। इसलिए भगवानदास दरखान की कोशिश और दुस्साहस सनकियों-सा साबित हुआ। हंगामा करने वाले ठण्डे पड़ गये। उठे हुए हाथ रुक गये। जो जहाँ था, वहीं रुक गया। लड़ाई फ़ौरन बन्द हो गयी। वैसे ही मेढ़ के लिए उस हिन्दू दरखान के अलावा अगर कोई सैयदज़ादा क़ुरान शरीफ़ उठाये साक्षात् फ़रीकै़न के दरमियान आ जाता या क़बीलों की चन्द बूढ़ियाँ सिर खोले, बाल बिखराये, गले में चादर डाले ठीक लड़ाई के दौरान रणभूमि में पहुँच जातीं, तो उनके सम्मान में भी लड़ाई बन्द करने का ऐलान कर दिया जाता।
मेढ़ की दृष्टि से तात्कालिक ढंग पर जं़ग बन्द हो गयी। भगवानदास दरखान की फ़ौरी तौर पर मरहम पट्टी की गयी और उसे कोटला शेख़ पहुँचा दिया गया। रस्तमानी और मस्दानी शूरवीर भी अपने-अपने ज़ख़्म लिए चले गये। मगर उनके चेहरों पर अभी तक भयानक क्रोध छाया हुआ था। आँखें शिकार पर झपटनेवाले बाज़ की तरह चमक रही थीं। ख़ून खौल रहा था। शूरवीरों का जोश सवा नैजे़ पर था। दोनों तरफ़ खींचातानी और ग़मो-गुस्सा का वातावरण था। उस वक़्त सूरते हाल निहायत संगीन हो गयी, जब तीसरे रोज़ सूरज डूबने से कुछ देर पहले मस्दानी क़बीले का एक ज़ख़्मी चल बसा। मृतक के घर में कुहराम मच गया। उसके भाइयों और क़बीले के दूसरे लोगों के सीनों में बदले की आग शिद्दत से भड़क उठी और मस्सत करने यानी ख़ून के बदले ख़ून की तैयारियाँ जा़ोर-शोर से होने लगीं। बदले की ऐसी कार्रवाई को लस्टदबीर कहा जाता है।
रस्तमानियों को जब उस लस्टदबीर का पता चला, तो उधर भी लोहा गरम हुआ। मरने-मारने की तैयारियाँ शुरू कर दी गईं। फ़ौरन डाह का बन्दोबस्त किया गया। इसके लिए यह तरीक़ा अपनाया गया कि एक ऐसे शख़्स को डाहडोक मुकर्रर किया गया, जिसका ताल्लुक़ एक तटस्थ क़बीले से था। डाहडोक क़द्दावर जवान था और मँझा हुआ ढोलकिया था। दिन चढ़े वह गले में ढोल डालकर निकला और ढोल बजाकर हर तरफ़ मुनादी करने लगा। वह पहले तड़ातड़ कई बार ढोल पर तमची से चोट लगाता और फिर बायाँ हाथ झटककर ख़ास अन्दाज़ में इस तरह थाप देता, जिसका स्पष्ट भाव यह था कि लड़ाई का ख़तरा सरों पर मँडरा रहा है। रणभेरी बजने वाली है। वह दिन ढले तक इसी तरह फ़रीकै़न को ख़बरदार करता रहा।



-शौकत सिद्दीक़ी


सुमन
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जारी

कैंटर से सोलह भैंसों को मुक्त कराया, तीन गिरतार

जींद (हरियाणा)
गढ़ी थाना पुलिस ने गांव पीपलथा के निकट शनिवार रात को पंजाब से उार प्रदेश स्थित बूचड़खाने ले जाए जा रहे भैंसों से भरे एक कैंटर से १६ भैंसों को मुक्त कराया है। पुलिस ने कैंटर सवार तीन लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरतार किया है। उधर, गांव मुआना के निकट पशु तस्कर पशुओं से भरे ट्रक को छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने ट्रक से १८ पशुओं को मुक्त कराया है।
गढ़ी थाना पुलिस शनिवार रात को गांव पीपलथा के निकट नाका लगाए हुए थी। उसी समय पंजाब की तरफ से एक कैंटर आता दिखाई दिया। नाके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने इशारा कर कैंटर को रूकवा लिया। कैंटर की तलाशी लिए जाने पर उसमें १६ भैंसों को ठूंसठूंस कर भरा हुआ था। जिसके कारण अधिकांश भैंसों की दशा दयनीय हो चुकी थी। पुलिस पूछताछ में कैंटर सवार लोगों की पहचान गांव पिसोल (उार प्रदेश) निवासी दीपा, मुजफरनगर (उार प्रदेश) निवासी इजहार, अंताज के रूप में हुई। पुलिस ने कैंटर को कजे में ले तीनों लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। उधर, गांव मुआना के निकट शनिवार रात को ग्रामीणों ने पशुओं से भरे एक ट्रक को काबू कर पुलिस के हवाले कर दिया। ग्रामीणों द्वारा नाकेबंदी की सूचना पाकर ट्रक सवार पशु तस्कर ट्रक को छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने ट्रक से बारह भैंस, एक भैंसा, एक बछड़ी तथा दो कटड़ों को मुक्त कराया है।

जोनल यूथ फेस्टीवल में डीएन हिसार कालेज ऑवर आल विजेता





जींद (हरियाणा)
राजकीय खातकाोर महाविनालय में चल रहा तीन दिवसीय कुरूक्षेत्र विश्र्वविनालय के हिसार जोन का जोनल यूथ फेस्टीवल रविवार को संपन्न हुआ। प्रतियोगिता में आल अवर ट्राफी पर हिसार के डीएन महाविनालय ने कजा जमाया। पूरी प्रतियोगिता में हिसार जिले से संबंधित महाविनालयों के छात्र छाए रहे। विजेता प्रतिभागियों को हिसार के आयुक्त बिमल चंद्रा ने पुरस्कृत किया।
प्रतियोगिता के अंतिम दिन कार्यक्रमों का शुभारंभ हरियाणवी लोकगीत के साथ हुआ। जिसमें डीएन कालेज हिसार प्रथम तथा राजकीय महिला महाविनालय हिसार ने द्वितीय स्थान प्राप्प्त किया। वेस्टर्न इंस्टूमेंट सोलो में सीआएम जाट कालेज हिसार प्रथम, राजकीय महाविनालय हिसार द्वितीय, वेस्ट्रन सोलो वॉकल में डीएन कालेज हिसार प्रथम, सीआरएम जाट कालेज हिसार द्वितीय, ग्रुप सॉग वेस्ट्रन में सीआरएम जाट कालेज हिसार प्रथम, डीएन कालेज हिसार द्वितीय, पॉप सॉग हरियाणवी में राजकीय महाविनालय हिसार प्रथम, डीएन कालेज तथा सीआरएम जाट कालेज हिसार ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। सोलो डांस हरियाणवी में सीआरएम जाट कालेज हिसार प्रथम, राजकीय महाविनालय हिसार, राजीव गांधी कालेज उचाना द्वितीय, सोलो डांस हरियाणवी पुरूष में डीएन कालेज हिसार प्रथम, सीआरएमए जाट कालेज हिसार तथा राजकीय महाविनालय जींद द्वितीय रहा।
हरियाणवी आर्केस्टरा में राजकीय महाविनालय हिसार प्रथम, राजकीय महाविनालय जींद द्वितीय रहा। फॉक इंस्टूमैंट हरियाणवी में राजकीय महाविनालय हिसार प्रथम, राजकीय महाविनालय जींद द्वितीय, हरियाणवी गजल में डीएन कालेज हिसार प्रथम, सीआरएम जाट कालेज द्वितीय, माइम में सीआरएम जाट हिसार प्रथम, एफसी कालेज हिसार द्वितीय रहा।

बलात्कार : आखिर दोषी कौन....?

बलात्कार पीड़िता को टार्चर करने की बजाए हौंसला बढाए
पिछले काफी दिनों से आए दिन कोई न कोई घटना समाचार पत्रों के माध्यम से यह पढने को मिलती है कि 'नाबालिग लड़की से बलात्कार!' लोकलाज की धज्जियां उड़ाते हुए हर रिश्ते को तार तार कर हवस के भूखे भेड़िये बलात्कार की घटना को अंजाम देते हैं। पहले सुनने को मिलता था कि युवक ने नाबालिग लड़की से बलात्कार किया। लेकिन धीरव्धीरव् हर रिश्ते तार तार होते गए और धर्मभाई, सगे भाई, ज्येठ, ससुर द्वारा और यहां तक की अब सुनने को यह भी मिल रहा है कि チाुद लड़की के पिता ने अपनी क्ख् वर्ष् की बेटी के साथ ही इस बुरव् कार्य को अंजाम दे डाला। इन बदलती परिस्थितियों के लिए आखिर जिमेवार कौन है॥? इस तरह की घटनाएं आज आम बात होती जा रही है। इन तरह बलात्कार की शिकार पीड़िता को यदि समाज ताने देने लगे तो वह पीड़िता या कर सकती है। या वह पिछली बातों को भुलाकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करव्गी.....? वास्तविकता में देखा गया है कि जब कोई भी बलात्कारी पीड़ित महिला अपनी इस सच्चाई को जब अपने सगे सबंधियों या अपने पति के समक्ष बयान करती है तो यह सच्चाई उसके लिए एक अभिषप बन जाती है, योंकि समाज में जहां सच्चाई को आगे लाने की बात करने वाले समाज के लोग ही जब इस सच्चाई को जान लेते हैं तो वह उस पीड़ित महिला से घृणा करने लगते हैं एवं उसे ही दोष्ी मानने लगते हैं, जबकि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले हवस के भेड़िये खुले आम घुमते रहते हैं और न ही उन्हें समाज एवं कानून का डर होता है। या बलात्कार पीड़ित महिलाएं अपने पर बीती घटना को समाज एवं सगे सबंधियों के सामने रख पाएगी। अगर रख पाएगी तो समाज एवं सगे सबंधी उसे सांत्वना देंगे या अब तक की चली आ रही टार्चरप्रथा के अनुसार टार्चर करते रहेंगे। समाज के लोगों को समाज में बड़ी बड़ी बाते करने के साथ साथ उन्हें अमल में भी लाना जरुरी होता है योंकि समाज के ठेकेदार समारोह में बड़ी बड़ी बाते करने से पीछे नही हटते और जब सामना करने की बात आती है तो वे उतने ही पीछे हट जाते हैं।
समाज के इन ठेकेदारों की वजह से ही बलात्कार पीड़ित महिलाएं अपने साथ घटी घटना को समाज के समक्ष बयान कर पाती है जिससे दोष्ी खुले आम घुमते रहते हैं। काश! वह ऐसा कर पाए लेकिन कुछ पीड़िता ऐसा करने की बजाय अपने आप को मौत के हवाले कर देती है। यदि किसी लड़की के साथ बलात्कार होता है तो या वह लड़की チाुद इस घटना के लिए जिमेदार होती है? लेकिन आजकल के समाज में लोग पढेलिखे होने के बावजूद इस बात को भूलकर उल्टा पीड़िता पर ही कटाक्ष करते हैं व आत्महत्या के लिए मजबूर करते हैं। बीते दिनों एक बात सुनने को मिली थी कि एक लड़की के साथ उसके धर्मभाई ने रिश्ते की आड़ में बलात्कार किया। बलात्कार की घटना के बाद लोकलाज के भय से उसने किसी को बताना उचित नही समझा लेकिन इसी का फायदा उठाते हुए उक्त युवक ने दोबारा उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की लेकिन उसका प्रयास असफल हो गया।
कुछ दिनों के बाद उक्त युवती की शादी कर दी गई। शादी के बाद युवती ने अपने पति से बात को छुपाना उचित नही समझा और उसने सच्चे दिल से अपनी आपबीती की पूरी व्यथा अपने पति को कह सुनाई। पत्नी ने सोचा कि उसका पति उसे माफ कर देगा लेकिन मामला कुछ उलट ही हुआ। पति ने पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करना शुरु कर दिया और बात बात पर उसकी पिछली घटना के लिए कटाक्ष करने लगा। बातबात पर तानें देने लगा जिस पर विवाहिता काफी दुखी रहने लगी। युवती ने जिस बात को अपने लिए भूल जाना बेहतर समझा था उसी बात को बारबार उसे याद दिलाए जाने लगा तथा उसे टार्चर किए जाने लगा। आखिरकार युवती को कुछ कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। या वो समाज के तानों से लड़ पाएगी या फिर मजबूर होकर अपने आप को मौत के हवाले कर देगी। यदि वह समाज से लड़ने की ठान लेती है तो उसे सहारा देने के लिए आगे कौन आएगा, योंकि स्वयं उसका पति ही उसे ताने देने लगता है। और यदि वह आत्महत्या कर लेती है तो उसका जिमेदार कौन होगा? या वह आरोपी जिसने उसकी जिंदगी को तबाह किया.... या फिर उसका पति जिसने अपनी पत्नी का हौंसला बढाने की बजाय उसे टार्चर किया जिसलिए वह आत्महत्या को मजबूर है। इसी तरह न जाने ऐसी कितनी युवतियां है जिनकी जिंदगी तो तबाह हो जाती है लेकिन उसकी जिंदगी तबाह करने वाले भेड़िये खुलेआम घुमते हैं। या आखिर उन्हें ताने देने वाला कोई नही है या किसी की हिमत नही है। इस तरह की घटनाओं में समाज के लोगों को चाहिए कि पीड़िता की हिमत बढानी चाहिए न कि उसे ताने देने चाहिए जिससे वह किसी प्रकार का गलत कदम उठाने पर मजबूर हो।
इस तरह की यह घटना ही नही प्रदेश में अनेकों घटनाएं होती है। इसका सबंध किसी व्यक्ति विशेष् से नही है।
प्रस्तुति : प्रदीप धानियां
Mob. 92559-59074

हरियाणा के अबतक के मुख्यमंत्री

चंडीगढ(प्रैसवार्ता) हरियाणा गठन उपरांत अबतक बने राज्य के मुख्यमंत्रियों और उनका कार्यकाल विवरण निम्र प्रकार से है:-
(1) पं. भगवत दयाल 01-11-66 से 10-03-67
(2) पं. भगवत दयाल 10-03-67 से 23-03-67
(3) राव वीरेन्द्र सिंह 24-03-67 से 15-07-67
(4) राव वीरेन्द्र सिंह 15-07-67 से 24-11-67
(5) राष्ट्रपति शासन 21-11-67 से 21-05-68
(6) बंसी लाल 21-05-68 से 14-03-72
(7) बंसी लाल 14-03-72 से 01-12-75
(8) बनारसी दास गुप्ता 01-12-75 से 29-04-77
(9) राष्ट्रपति शासन 30-04-77 से 21-06-77,
(10) देवीलाल 21-06-77 से 28-06-79
(11) भजनलाल 28-06-79 से 23-05-82
(12) भजन लाल 23-05-82 से 04-06-86
(13) बंसी लाल 05-06-86 से 20-06-87
(14) देवीलाल 20-06-87 से 02-12-89
(15) ओम प्रकाश चौटाला 02-12-89 से 23-05-90
(16) बनारसी दास गुप्ता 23-05-90 से 11-07-90
(17) ओम प्रकाश चौटाला 11-07-90 से 17-07-90
(18) मा. हुक्म सिंह 17-07-90 से 22-03-91
(19) ओम प्रकाश चौटाला 22-03-91 से 05-04-91
(20) राष्ट्रपति शासन 06-04-91 से 22-06-91
(21) भजन लाल 23-06-91 से 10-05-96
(22) बंसीलाल 11-05-96 से 22-07-99
(23) ओम प्रकाश चौटाला 24-07-99 से 01-03-2000
(24) ओम प्रकाश चौटाला 02-03-2000 से 05-03-2005
(25) भुपेंद्र सिंह हुड्डा 05-03-2005 से 25-03-2009
(26) भुपेंद्र सिंह हुड्डा 25-03-2009 से .................

लो क सं घ र्ष !: आशीष खंडेलवाल जी की ताजा पोस्ट के लिए

गूगल, यूं हिंदुस्तानियों के साथ खिलवाड़ न करो


शान्ति साम्राज्यवाद की मौत हैयुद्घ उसका जीवन है, विश्व में दो विश्व युद्घ लड़े गए है और दोनों ही साम्राज्यवादियों की धरती पर ही लड़े गए है दूसरे विश्व युद्घ के बाद साम्राज्यवादियों ने तय यह किया था कि अपनी धरती पर युद्घ नही लड़ना हैविश्व आर्थिक मंदी से निपटने के लिए साम्राज्यवादियों को युद्घ चाहिए इसके लिए एशिया में बड़े-बड़े प्रयोग किए जा रहे है और उनकी सारी ताकत एशिया की प्राकृतिक सम्पदा को लूट घसोट करने में लगी हैउनकी मुख्य विरोधी शक्तियां ईरान, उत्तर कोरिया, वियतनाम है और मुख्य प्रतिद्वंदी चीन हैईरान के रेवोलुशनरी गार्ड्स मुख्यालय पर आत्मघाती हमला हो चुका हैचीन भारत का युद्घ वह चाहते है । इसके लिए तरह-तरह की गोटियाँ चली जा रही हैउनके तनखैया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के लोग तरह-तरह की अफवाहबाजी उडा, भ्रम फैला कर युद्घ का माहौल तैयार कर रहे हैउसी का यह एक हिस्सा हैईराक में परमाणु हथियारों के सवाल को लेकर ईराक को तबाह किया गयाआज इराक़ में लाखो औरतें विधवा है . जिनके खाने और कमाने का कोई जरिया नही है , शिक्षा और स्वास्थ्य नाम की कोई चीज नही बची हैसाम्राज्यवादी ताकतें ईराक की प्राकृतिक सम्पदा को लूट रही है वही स्तिथि चीन और भारत का युद्घ करा कर यह ताकतें यहाँ की प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करना चाहती हैयह जो कुछ हो रहा है वह सोची समझी रणनीति का हिस्सा हैहमारे अरुणांचल , जम्मू और कश्मीर को चीन का हिस्सा दिखा कर लोगों में भ्रम पैदा किया जा रहा है ताकि युद्घ का उन्माद पैदा होजो ताकतें यह हरकत कर रही है वह उनकी रणनीति का हिस्सा हैपूंजीवादी व्यवस्था में कोई चीज दान की नही होती हैमुनाफा और लाभ ही उनका धर्म हैये अपने अविष्कारों में हिस्सा देकर लाभ कमाते है । हमको अपनी मेहनत और श्रम का हिस्सा क्या उनके लाभ से हमको नही मिलता है ? हो सकता है उनकी योजना सफल हो तो भारतीय नक्शे में बीजिंग और इस्लामाबाद को दर्शाना शुरू कर दें

सादर
सुमन
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24.10.09

लो क सं घ र्ष !: दोस्त-दोस्त न रहा

साम्राज्यवादी लूट शोषण करने में अमेरिका और इजराइल की जोड़ी प्रसिद्ध है और इन दोनों देशों की खुफिया एजेन्सी सी आई और मोसाद विकास शील देशों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर काम करती रहती है लेकिन समय आने पर वे एक दूसरे के विरूद्व जाकर अपना अधिपत्य कायम करना चाहती हैअभी कुछ दिन पूर्व अमेरिकी वैज्ञानिक को गिरफ्तार किया गया है जिसके ऊपर आरोप है की उसने इजराइल को ताजा खुफिया जानकारियाँ दी हैअमेरिकी वैज्ञानिक स्टीवर्ट डेविड नोजेट को एक स्टिंग ऑपरेशन में एफ.बी.आई एजेंट ने पकड़ा हैइजराइल हमेशा से अपने हितों की पूर्ति के लिए अमेरिका के ऊपर तमाम तरह के प्रयोग करता रहता हैइससे पूर्व ग्यारह सितम्बर की घटना वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में एक भी इजराइली कर्मचारी नही मारा गया था क्योंकि उस दिन सभी हजारो इजराइली करमचारियों ने एक साथ छुट्टी ले रखी थी और अमेरिकन साम्राज्यवाद ने उस दिशा में घटना की जांच करने की हिम्मत भी नही की और एशियाई मुल्कों के ऊपर तोहमत मड़कर अपना आतंक का साम्राज्य फैलाना शुरू कर दियासाम्राज्यवादी लूट में दोस्त-दोस्त रहा, बल्कि मुख्य चीज यह है कि किस तरीके से एक दूसरे के ऊपर दबाव बनाकर ज्यादा से ज्यादा लाभ लिया जा सके

सुमन
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सिरसा जिला ने रचा रक्तदान के क्षेत्र में नया इतिहास

सिरसा(प्रैसवार्ता) रक्तदान के क्षेत्र में सिरसा जिला ने नया इतिहास रचा है। 1 जनवरी 2010 से सिरसा जिला देश के विभिन्न क्षेत्रों में रक्त की पूर्ति करने में सक्षम होगा। जिला ने स्वैच्छिक रक्तदान में शत् प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर लिया है। यह बात इंडियन रैडक्रॉस सोसाइटी जिला सिरसा ब्रांच के प्रैजीडेंट एवं जिला उपायुक्त श्री युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने स्थानीय सी एम के नैशनल गल्र्ज कॉलेज में हरियाणा स्टेट ब्लड ट्रांसफूजन कौंसिल और इण्डियन रैडक्रास सोसाइटी द्वारा आयोजित नया साल नया सवेरा कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में रक्तदान के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक्शन प्लान तैयार की जाएगी जिसके पश्चात जरुरत पडऩे पर मरीज रक्त का नहीं बल्कि रक्त मरीज का इंतजार करेगा और खून की कमी के कारण किसी का जीवन खतरे में नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि आज सिरसावासियों के लिए सबसे पवित्र दिन है जहां रक्तदान की प्रेरणा को लेकर सेमिनार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रक्तदान की प्रेरणा के लिए चल रही कार्यशाला व हेमकॉन 09 कार्यक्रम से मानवता और इंसानियत की तरंग निकलकर दुनिया के कोने-कोने में अपना संदेश पहुंचाएगी। श्री ख्यालिया ने अपने वक्तव्य के आरंभ में जय रक्तदाता के नारे का उद्घोष किया और कहा कि सिरसा से 'जय रक्तदाताÓ के नारे की गूंज न केवल हरियाणा में बल्कि पूरे देश में पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि रक्तदान के मामले में सिरसा दूसरों के लिए न केवल एक उदाहरण बन गया है बल्कि जिस तरह से रक्तदान के लिए लोग आगे आ रहे है वह दिन भी दूर नहीं जब सिरसा अन्य जिलों की रक्तपूर्ति भी करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि एक्शन प्लान को दिमाग से तैयार करेंगे और लागू दिल से करेंगे। इस प्लान को सफल बनाने के लिए पूरी कार्यक्षमता का इस्तेमाल होगा और रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रही विभिन्न समाजसेवी संस्थाएं व समाजसेवियों की भागेदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। उपायुक्त ने अपने संबोधन में रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करने के मूलमंत्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक रक्तदानी प्रेरित करके एक रक्तदानी ओर बनाएं और एक रक्तप्रेरक अपना दायित्व समझकर एक ओर रक्तप्रेरक बनाएं तथा एक वर्ष में चार बार रक्तदान करने का लक्ष्य निर्धारित करें तो यह मिशन सफल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अपना और अपने बच्चों का जन्मदिन भी रक्तदान करके मनाना चाहिए ताकि रक्तदान की अलख जगाई जा सके। इस अवसर पर उप-निदेशक ब्लड सेफ्टी हरियाणा एवं इंटरस्टेट ब्लड ट्रंासफूजन की चेयरपर्सन डा. जसजीत कौर ने कहा कि रक्तदान को लेकर लोगों में खासकर युवाओं में जुनून पैदा करने की जरुरत है। उन्होंने जिला प्रशासन और रक्तदान के क्षेत्र से जुड़ी समाजसेवी स्ंास्थाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि रक्तदान के लिए प्रेरित करने के मामले में सिरसा से बेहतर जगह नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि रक्त की जरुरत पूरी करने के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि सुरक्षित खून को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि अगर कुल जनसंख्या का एक प्रतिशत लोग भी रक्तदान के लिए आगे आए तो पूरे सालभर के लिए जरुरत पूरी हो जाती है। इस मौके पर डा. वेद बैनीवाल ने रक्तदान को पूजा सामान बताया और कहा कि रक्त का विकल्प नहीं हो सकता इसलिए रक्त से बढ़कर दान नहीं है। हमारे द्वारा किया गया रक्त किसी जरुरतमंद की जिंदगी बचाने में कारगर साबित होता है। उन्होंने कहा कि रक्त के क्षेत्र में गांव स्तर पर आत्मनिर्भर होना चाहिए। समारोह में जिला रैडक्रॉस सोसाइटी के चेयरपर्सन श्रीमती किरण ख्यालिया, उपमंडल अधिकारी नागरिक एस.के सेतिया, समाजसेवी प्रवीण बागला, सी.एम.ओ प्रताप धवन सहित विभ्रिन्न विभागों के अधिकारी व सामाजिक संस्थाओं के रक्तदान प्रेरक मौजूद थे।

लो क सं घ र्ष !: पाकिस्तानी कहानी

भगवान दास दरखान - 3

यह बरसाती पानी आन की आन में उफान और सैलाब की सूरत इख़्तियार कर लेता है। तेज़ और तीखे रेले में मुसाफ़िरों से भरी हुई बसें बह जाती हैं। फ़सलें बरबाद हो जाती हैं। इन्सान और मवेशी बह जाते हैं। पत्थर, मिट्टी और घास-फूस के बने हुए मकान ढह जाते हैं। हर तरफ़ जल थल हो जाता है। तबाही और बरबादी का बाज़ार गर्म हो जाता है। यही पानी, जो पहाड़ों और उसके दामन में बसने वालों के लिए रहमत का पानी बन सकता है, ज़हमत और मुसीबत बन जाता है।
लेकिन वे जगहें जहाँ रूदकोहियाँ मौजूद हैं, इस तबाही से महफूज़ रहती हैं। उन जगहों पर पानी के तेज़ बहाव का रुख़ मोड़ने के लिए ढलवान पर जगह-जगह मिट्टी और पत्थरों के मजबूत और ऊँचे-ऊँचे पुश्ते बनाये गये हैं। इस तरह बारिश का पानी छोटी-बड़ी नालियों से बहकर उस ज़मीन को जलमग्न करता है, जिस पर खेती-बाड़ी होती है। मगर ऐसी बारानी ज़मीन पर आमतौर पर सिर्फ़ एक फ़सल होती है, जिसमें मक्की के इलावा ज्वार और बाज़रा पैदा होते हैं।
ऐसी रूदकोहियाँ (जल संग्रह का एक तरीक़ा) पहाड़ियों की तलहटी में जगह-जगह देखने में आती हैं। लेकिन झगड़ेवाली रूदकोही इस से भिन्न थी, ज्यादा उपयोगी और देर तक काम आने वाली। अपनी नौइयत और उपयोगिता के ऐतबार से वह एक छोटे से बाँध की तरह थी। उसका निर्माण इस तरह किया गया था कि बारिश के पानी की तेज़ धारा पुश्तों से टकराकर जब अपना रास्ता बदलती, तो नालियों से गुज़रती हुई ढलान के उस तरफ़ बहकर जाती, जहाँ ज़मीन खोदकर पानी का ज़ख़ीरा करने का निहायत मुनासिब इन्तज़ाम था। पानी का यह ज़ख़ीरा ज़मीन की सतह से कुछ बुलन्दी पर था और उसका हिस्सा एक विस्तृत गुफा के अन्दर दूर-दूर तक फैला हुआ था।
पानी का यह ज़ख़ीरा, जिसे स्थानीय बोली में खड्ड कहा जाता है, पहाड़ी चट्टानों के सख़्त और बड़े-बड़े पत्थर तोड़-फोड़कर निहायत जी तोड़ मेहनत से बनाया गया था, ताकि गर्मी के मौसम में पानी सुरक्षित रहे। खड्ड का पानी आम घरेलू इस्तेमाल के भी काम आता था। खड्ड से खेतों की सिंचाई करने के लिए जो नहरें और नालियाँ बनायी गयी थीं, वे ख़रीफ के इलावा कभी-कभी रबी की फ़सल की काश्त के वास्ते भी पानी मुहैया कराती थीं।
फ़रीकै़न (वादी-प्रतिवादी) का ताल्लुक़ तमन मज़ारी के रस्तमानी और मस्दानी क़बीलों से था। वे सुलेमान पहाड़ की दक्षिणी तलहटी में खेती-बाड़ी के साथ-साथ भेड़ चरवाही भी करते थे। साँझी रूदकोही से अपने खेतों को पानी देते थे। यह इलाका बलूचिस्तान के बुक्ती क़बीलों के निवास स्थान, डेरा बुक्ती से लगा हुआ है, जो शहज़ोर ख़ाँ मज़ारी की एक बलूच बीबी को बाप की तरफ़ से विरासत में मिला था। इसलिए अब वह उस जागीर में शामिल था।
पानी के बँटवारे का झगड़ा बढ़कर धीरे-धीरे रस्तमानियों और मस्दानियों के दरमियान पुरानी क़बाइली दुश्मनी की शक्ल अख्ति़यार करता गया। बदले की कार्रवाई के तौर पर मवेशी उठा लिये जाते, फ़सलों को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश की जाती, रात केे अँधेरे में चोरी-छिपे पानी के बहाव का रुख़ मोड़ दिया जाता, ज़ख़ीरा यानी खड्ड के मुँह से रुकावटें हटा दी जातीं और अपने खेतों को ज़्यादा से ज़्यादा जलमग्न करने की गऱज़ से पानी की चोरी की जाती।
कई बार लड़ाई-झगड़े हुए, मगर पिछले हफ़्ते ज़बरदस्त हथियारबन्द मुठभेड़़ हुए। मुठभेड़ से पहले बाकायदा विरोधी फ़रीक़ को ललकारकर ख़बरदार किया गया था कि वह पूरी तैयारी के साथ मुक़ाबले पर आयें। इसलिए फ़रीकैन ने अपने-अपने क़बीले से जं़ग-आज़माओं और सूरमाओं को इकट्ठा किया, रात भर जागते रहे। सलाह-मशवरा करते रहे। अपनी और दुश्मन की ताक़त और असलहों का अन्दाज़ लगाते रहे और उसकी रौशनी में प्रभावशाली जं़गी कार्रवाई करने के मंसूबे बनाते रहे।
-शौकत सिद्दीक़ी

सुमन
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लोकसंघर्ष पत्रिका में शीघ्र प्रकाशित

.....जारी ......*

अजब अनोखी वसीयते

वसीयत करना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। इसके द्वारा वह अपनी मृत्यु के पश्चात जिसे चाहे उसे अपनी संपति का वारिस घोषित कर सकता है अथवा अपनी संपति वितरण कर सकता है। आम तौर पर व्यक्ति संतान, सगे संबंधियों या अनाथालयों को अथवा धार्मिक संस्थाओं को अपनी संपति देता है। संसार में कुद ऐसे लोग भी हुए हैं, जिन्होंने अजब अनोखी वसीयतें कर सबको अचरज में डाल दिया है। ऐसी व्यक्ति उसकी मृत्यु के समय सबसे ज्यादा हंसे, उसे संपति का चेयरमैन नियुक्त किया जाये, और जो रोए उसे कुछ न दिया जाए। टेक्सास के विल्सन ने अपनी वसीयत के प्रति संदेह दूर करने के लिए उसे अपनी पीठ पर ही गुदवा लिया था। दाढी मूंछों से घृणा करने वाले लंदन के एक फर्नीचर व्यापारी ने अपनी वसीयत में सारी संपति उन कारीगरों के नाम लिख दी, जिनकी दाढी मूंछे सफाचट हो। अमरीका के एंडरसन को बिल्लियां बड़ी प्रिय थी। उनके पास 17 बिल्लियां एवं 3 बिल्ले थे। जब उनकी मृत्यु के बाद 12 दिसंबर 1990 को उनकी वसीयत पढ़ी गई तो तीनों बिल्लों को 11-11 लाख डालर तथा 17 बिल्लियों को 6-6 लाख डालर मिलें। कुल संपति थी, 135 लाख डालर। जब वसीयत पढ़ी गई तो एंडरसन के सभी रिश्तेदार मौजूद थे। पुत्र एलिस की तो इस सदमे से मौत हो गई कि उसके पिता ने उसके लिए फूटी कौड़ी तक नहीं छोड़ी थी। फ्रांस की मदाम क्लरा ने अपनी वसीयत में अपनी सारी जायदाद उस व्यक्ति के नाम कर दी, जो मंगल ग्रह से आने वाला पहला आदमी हो। देखना यह है कि क्या कोई दावेदार कभी मंगल ग्रह से पृथ्वी पर आएगा? फिनलेण्डके फैडरिक रिचर्ड ने अपनी सारी संपति शैतान यानि भूत के नाम कर दी। जब काफी अर्से तक किसी भूत ने दावा पेश नहीं किया, तो सरकार ने सारी जायदाद अपने कब्जे में ले ली। फ्रांस के एक सौंदर्य प्रेम ने अपनी सारी संपति उन महिलाओं के नाम लिख दी, जिनकी आंखों, नाक, होठ और बाल सुंदर हों। स्कॉटलैंड के एक उद्योगपति ने अपनी संपति अपनी संपति के वजन के मुताबिक संपति का बटवारा किया गया अधिक वजन, अधिक संपति। कम वजन, कम संपति। इससे मोटो की किस्मत खुल गई और दुबला का बेडा गर्ग हो गया। इटली के विख्यात पशु चिकित्सक बारोमोलिया को भेड़ों से बड़ा लगाव था। वे उन्हें अपने बंगले में बड़े ही ठाठ में रखते थे। उनके पास 135 भेड़ें थी। उन्होंने अपनी कुल संपति का आधा हिस्सा यानी 14 लाख लीरा इन भेड़ों को समर्पित कर दिया था, ताकि उनके बाद उनकी भेड़ों को किसी प्रकार का अभाव न हो। डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में वल्डेकर नामक एक फोटाग्राफर थे, जिन्हें गायों से विशेष प्रेम था असहाय बीमार गायों को देख उनका मन बहुत दुखी होता था। वे ऐसी गायों की प्रभावी मुद्रा में फोटो खींचते और उनकी बिक्री से प्राप्त राशि को अलग रखते थे। 18 नवम्बर 1983 को जब उनकी मृत्यु हुई और उसके बाद उनकी वसीयत पढ़ी गई, तो उसमें लिखा था कि गायों के चित्रों से प्राप्त राशि, जो कोपनहेगन के एक बैंक में जमा है, ऐ एक गौ शाला बनाई जाए, जहां बीमार वृद्ध एवं बेसहारा गायों की परवरिश की जाए। उनकी यह राशि 19 लाख क्रोन (डेनमार्क की मुद्रा) थी। आस्ट्रेलिया के जैम्स मूर एक बड़ी दूध डेरी के मालिक थे। उनकी मृत्यु 23जुलाई 1988 को हुई। 24 जुलाई को उसकी वसीयत पढ़ी गई। उनकी कुल पूंजी कंगारूओं के कल्याण पर खर्च करने की वसीयत की थी। लंदन के एक कारीगर केवेन्टर की मोटर साइकिल से एक गिलहरी मर गई। उसे इसका बेहद अफसोस हुआ उसने अपनी वसीयत में लिखा कि उसकी सारी संपति गिलहरियों के लिए है और उससे उनके दाना-पानी की व्यवस्था की जाए। अंधेरे से नफरत और उजाले से प्यार करने वाले जर्मनी के एक डॉक्टर ने मृत्यु के बाद उसके ताबूत में बारीक जालियां लगाई गई तथा कुछ जलती हुई मोमबत्तियां भी रखी गई। युगोस्लाविया के एक पियक्कड़ व्यापारी ने अपनी वसीयत में लिखा कि वह जो संपति छोड़े जा रहा है, उससे प्रतिदिन उसकी कब्र को शराब से धोया जाए और वर्ष में एक दिन (उसके मरने की तिथि) शहर भर में सभी शराबियों को कब्र के पास बैठकर मनचाही शराब पिलाई जाए। स्विट्जरलैंड के एक इंजीनियर जैकीस चिकार्ड ने काफी धन कमाया। उसकी वसीयत कुल संपति 17 लाख फ्रेंस थी। उसने अपनी वसीयत में कहा था कि इनसे पशु अस्पताल खोला जाए, जहां घायल पशुओं की नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था हो। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में एक कपड़ा व्यवसायी थे, रामनिवास चौधरी। फरवरी 1982 में उनकी मृत्यु हुई। उन्होंने अपनी सारी जायदाद बंदरों के नाम कर दी थी। उनकी संपति थी 3 लाख 17 हजार रुपए। हेनलिन, जर्मनी के विख्यात करोड़पति आर्थर एवमैन ने अपनी सारी धन दौलत उन लोगों के नाम कर दी, उसकी शवयात्रा (अंतिम संसकार) में शामिल होंगे। साहित्यकार की सनक के तो क्या कहने! वोरिया के विख्यात साहित्यकार कांग जुफूसोल ने काफी दौलत अर्जित की थी। उसने अपनी वसीयत में लिखा कि जो कोई उसकी याद में राजधानी में 1500 मीटर टावर बनाएगा, उसी को सारी संपति मिलेगी, लेकिन साहित्यकार की वसीयत धरी रह गई, क्योंकि कोई भी इतना ऊंचा टावन बनाने के लिए तैयार नहीं हुआ। अंत में सरकार ने उसकी संपति अपने कब्जे में ले ली। भिखारी भी भला वसीयत करते है? क्यों नहीं, उनके पास अथाह धन हो, तो अवश्य कर सकते है। इग्लैंड के कैनन हैरी ने भीख मांग काफी धन इक_ा किया और सारी संपति भिखारियों के मनोरंजन के लिए कर दी। निक एकाडे के पास डोली नामक कुत्ता था, जो हर समय उसके साथ रहता था। जब 18 जून 1991 में उसकी मृत्यु हो गई उसकी वसीयत पढ़ी तो, घर वालों के पैरों तले से जमीन खिसक गई। 35 लाख डालर की सारी संपति वे अपने प्रिय कुत्ते के नाम कर गए थे। यही नही वे यह भी लिख गये थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी बीवी व बच्चों को उनके मान से बेदखल कर दिया जाए तथा उस भवन में कुत्तों के लिए अनाथालय बनाया जाए, जिसमें अवारा कुत्तों की परवरिश की जाए। वरमोट अमरीका की श्रीमती जीन कोर हजो एक डिपार्टमैंटल स्टोर की संचालिका थी। 8 दिसंबर 1987 को स्वर्ग सिधार गई। उसकी मृत्यु के बाद उसकी वसीयत पढ़ी गई, तो संपति का बंटवारा कुछ इस तरह था। 15 लाख डालर पूसी, रूबू और खोसी नामक तीन बिल्लियों के लिए, 7 लाख डालर कबूतरों के लिए तथा 3 लाख चिडिय़ों के लिए। -मनमोहित ग्रोवर, प्रैसवार्ता