"क्योंकि......औरत ने प्यार किया " जी हाँ यह शीर्षक है डा.जेबा रशीद के नए उपन्यास का जिस पर एक बहुत ही सारगर्भित संगोष्टी का आयोजन अंतर प्रांतीय कुमार साहित्य परिषद् ,जोधपुर द्वारा किया गया.
इस संगोष्टी के मुख्य अतिथि डा.ऐ.डी.बोहरा थे और संचालन किया भाई रमेश पारीक ने.
पदमाजी ने व डा.गीता भट्टाचार्य ने उपन्यास कि सारगर्भित विवेचना करते हुए पत्र वाचन किया .
प्रमुख अतिथि थे मूर्घन्य साहित्यकार डा.रमाकांत शर्मा ,डा.नन्दलाल कल्ला ,डा.रशीद व गाँधी शांति प्रतिष्टान केंद्र के संचालक नेमिचंद्र जैन "भावुक ",मलखान सिंह बिश्नोई एम्.एल.ए.लूनी आदि.
उपन्यास कि कथावस्तु पुरुषों को कठघरे में खडा करती है. नारी पुरुष द्वारा भीख में मिली आजादी को सिरे से नकारती है और पूछती है तुम्हे ये आजादी किसने दी ?तुम मुझे आजादी देने वाले कौन होते हो ,जिसने तुम्हे आजादी दी उसी ने मुझे भी आजादी दी है.
सभी ने लेखिका को इस सुंदर रचना कि बधाई दी.
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