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रज़िया "राज़"
है बड़ा उसमें जो दम।
चल पडे उसके कदम।
देखो क्या करती कलम।
कभी होती है नरम।
कभी होती है गरम।
देखो क्या करती कलम।
छोड देती है शरम।
खोल देती है भरम।
देखो क्या करती कलम।
कभी देती है ज़ख़म।
कभी देती है मरहम।
देखो क्या करती कलम।
कभी लाती है वहम।
कभी लाती है रहम।
देखो क्या करती कलम।
कभी बनती है नज़म।
कभी बनती है कसम।
देखो क्या करती कलम।
लिख्नना है उसका धरम।
चलना है उसका करम।
देखो क्या करती कलम।
1 टिप्पणियाँ:
jhalli kalam kabhi swalli kalam |
kabhi khole polkabhidhake kalam ||
prabhu ki ho ya ho jhalli kalam|
lekin razia ki raaj kar rahikalam||
jhalli-kalam-se
angrezi-vichar.blogspot.com
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