आदमी है, आदमी से मिलता-मिलाता तू चलाजा।
गीत कोई प्यार के बस गुनगुनाता तू चलाजा।
गर तुझे अँधियारा राहों में मिले तो याद रख़,
हर जगह दीपक उजाले के जलाता तू चलाजा।
जो तुझे चुभ जायें काँटे, राह में हो बेखबर,
अपने हाथों से हटा कर, गुल बिछाता तू चलाजा।
सामने तेरे ख़डी है जिंदगानी देख ले,
बीती यादों को सदा दिल से मिटाता तू चलाजा।
”राज़” हम आये हैं दुनिया में ज़ीने के लिये।
हँस के जी ले प्यार से और मुस्कुराता तू चलाजा।
1 टिप्पणियाँ:
बढिया है...ज़िंदगी कुछ करना है तो खुश तो रहना ही होगा चाहे कितनी भी मुश्किले क्यों न आ जाये...क्योंकि हौसला तभी आयेगा
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