देख़ो भारतवालो देख़ो, फ़िर आज़ तिरंगा छाया है।
है पर्व देश का आज यहाँ, ये याद दिलाने आया है।
रंग है केसरीया क्रांति का, और सफ़ेद है जो शांति का।
हरियाला रंग है हराभरा, पैग़ाम देश की उन्नति का।
अशोकचक्र ने भारत को प्रगति करना जो सिखाया है।
देख़ो भारतवालो देख़ो ।
वो वीर सिपाही होते हैं,सरहद पे शहीदी पाते है।
वो भारत के शुरवीर शहीद सम्मान राष्ट्र का पाते है।
वो बडे नसीबों वाले हैं, मरने पर जिन्हें उढाया है।
देख़ो भारतवालो देख़ो।
हम वादा करते है हरदम, सम्मान करेंगे इसका हम।
चाहे जो जान चली जाये, पीछे ना हटेंगे अपने क़दम।
जन-गण-मन गीत सभी ने फ़िर एक ऊंचे सुर में गाया है।
देख़ो भारतवालो देख़ो।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक, बंगाल से कच्छ की ख़ाडी तक।
उत्तर से दक्षिण, पश्चिम से पूरब की हर हरियाली तक।
हर और तिरंगा छाया है, और भारत में लहराया है।
देख़ो भारतवालो देख़ो।
3 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर देशप्रेम में बदन सिहर गया रोएं उठ खड़े हुए है मेरे
कविता लिखने की कोशिश अच्छी बात है ,हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
बहुत अच्छा.
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