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31.8.09

सरकारी टीम से हाथापाई, पांच नामजद

जींद(हरियाणा):प्लाटों पर कब्जा दिलाने गई सरकारी टीम के साथ हाथापाई करने सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में जिले की सफीदों पुलिस ने स्थानीय खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी की शिकायत पर गांव मुआना के पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी धर्मबीर द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया है कि काफी दिनों से गांव मुआना के किशन, बशीर सहित अनेक लोगों के प्लाटों पर गांव के ही कुछ लोगों द्वारा कब्जा किए जाने की शिकायत की जा रही थी। शिकायत को देखते हुए नायब तहसीलदार लक्ष्मण दास के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, जिसने गांव में जाकर कब्जाधारियों को जैसे ही कब्जा छोड़ने के निर्देश दिए तभी कब्जाधारियों ने कर्मचारियों के साथ हाथापाई शुरू कर दी। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी द्वारा दी गई शिकायत पर पुलिस ने मुआना गांव के रमेश, रामनिवास पुत्रान कृष्ण, कृष्ण, ओमप्रकाश पुत्रान मोलू अनिल पुत्र देशराज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

घर का "दीपक"


सुनती हो? अभी तक तुम्हारा लाड़ला घर पहुंचा नहीं है। रसोई से ज़रा बाहर तो आओ! प्रोफ़ेसर अनिल अपनी पत्नी से बोले।

अभी थोडी देर पहले कालेज से आकर बैठक में बैठी राजुल दैनिक पेपर में अपना मुंह लगाकर चुपके से अपने बाबू जी का गुस्सा देख रही थी।

अपने हाथों को रुमाल से पोंछती हुई निर्मला गभराई सी रसोई से बाहर आ गई।

क्या है? चिल्लाते क्यों हो? आ जायेगा। कहकर तो गया है कि दोस्तों के साथ घूमने जा रहा हूं

आज चौथा दिन है। पता नही कहाँ है? एक तो उसने अपना मोबाइल भी बंद कर रखा है। यहाँ सर पर बेटी की शादी की चिंता है । इसे तो हमारी या बहन की कोई चिंता ही कहाँ?

एक मेरी कमाई पे सारा घर चलाना है। बेटी की शादी कोई छोटी-मोटी बात थोडी है? प्रो.अनिल ने कहा

शांत हो जाओ। इस बार उसे ठीक से समझाउंगी। आप परेशान न हो। बी०पी० बढ़ जायेगा। निर्मला वातावरण को नोर्मल बनाने का प्रयास करने लगी।

तभी राजुल की सहेली कल्पना घर में आई। जो दीपक के दोस्त विनय की बहन थी। राजुल ने उस से कहा क्या विनय, दीपक के साथ नहीं गया? सुरेश और पंकज तो दीपक के साथ गये हुए हैं?

क्या बात करती हो! आज ही तो वो दोनों मेरे घर आये थे।कल्पना ने कहा।

सुना!! ये दीपक ही हमारे घर में अँधेरा कर देगा, देखना तुम। प्रो.अनिल ने घबराहट में कहा।

वे सब आज ही आए होंगे। दीपक भी आ जायेगा। चिंता मत करो राजुल बेटी तू ही अब अपने पिताजी को ज़रा समझा"। निर्मला स्वस्थ होने का दिखावा करते हुए बोली।

.....कि एकदम" लडख़डाता हुआ दीपक घर में आया। राजुल डर गई। कहीं पिताजी का हाथ ना उठ जाये भैया पर। वातावरण को गरम देखकर कल्पना ने भी यहाँ से उठ जाना ही ठीक समझा।

दीपक अपने बेडरूम की ओर चला गया। हाथों में वही सूटकेस थी, जो हर बार घूमने जाता तो ले जाया करता।

लो अब तो नशा भी करने लग गया है, तुम्हारा बेटा ! मैं अब उसे फूटी कौड़ी भी नहीं देने वाला। खुद ही

कमाए और खुद ही ख़ाए। मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। अपने भारी स्वर में निर्मला को डाँटते हुए प्रोफ़ेसर अनिल बोले।

शाम होने लगी थी। पर अभी तक दीपक अपने कमरे से बाहर नहीं आया था। निर्मला ने राजुल को कुछ इशारा किया। राजुल आहिस्ता से दीपक के कमरे में देखकर आई और अपनी माँ को सोने का संकेत दिया। मां और बेटी दूसरे कमरे की ओर चल दीं।

कनखियों से झाँकते हुए प्रोफ़ेसर अनिल ने माँ बेटी का संकेत देख लिया और अनजान बनकर टी.वी का स्विच ओन कर दिया।

टी वी पर लोकल न्युज़ थी। लाली वाला किडनी अस्पताल में किडनी एजेंट का भंडाफोड़। डॉक्टर और एजेंट गिरफ्तार। निर्दोष लोगों को बहला फ़ुसलाकर उनके गुरदे परदेश में बेच दिया करते थे

एक अन्जान डर ने प्रोफ़ेसर अनिल को हिलाकर रख दिया। सहसा खडे होकर दीपक के कमरे की ओर चल पडे। कमरे में अँधेरा था। डिम लाईट का स्विच ओन किया। बेड के पास रखा काला एयरबेग खोला एक पोलीथीन में सो-सो के करारनोट रख़े हुए थे। साथ में एक लेटर था। लिखा था बाबूजी-माँ ! मैं फ़िलहाल बेकार हुं। कंई जगह इंटरव्यू देता रहा कि नौकरी मिल जाये। पर हरबार निराशा मिली।

मुझे पता है दीदी की शादी है। मैं आपका हाथ कैसे बंटाता? तभी मुझे ये रास्ता मिला....

आपने मुझे जन्म दिया है। मेरा इतना तो फ़र्ज़ है कि मैं आपके कुछ काम आ सकुं। सोरी पिताजी!!!!

प्रोफेसर अनिल बेड का कोना पकडकर लडखडाते हुए खडे हुए। आहिस्ता-आहिस्ता दीपक के करीब पहुंचे। उसका शर्ट उंचा करके डरते हुए देखा पेट पर ड्रेसिंग लगी हुई थी। उन्हें अपना दीपक अंधेरे में ज़गमगाता नज़्रर आने लगा।

उन्हें लगा वो जल्दी बूढे होने चले हैं...............

युवक-युवति परिचय सम्मलेन एक अनुकरणीय पहल

आज की इस भौतिकवादी और व्यस्त जीवनचर्या में जहाँ आमतौर पर व्यक्ति स्वयं के कार्यों हेतु भी बमुश्किल ही समय निकाल पाता है, वहीँ हमारे समाज में कुछ ऎसी विभूतियाँ और संस्थायें भी मौजूद हैं जो समाज के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं.ऐसी ही एक संस्था का नाम अखिल भारतीय अग्रवाल समाज है, जिसे कुछ समाज सेवक बड़ी ही मेहनत और लग्न से चला रहे हैं. हाल ही में हरियाणा की ऐतिहासिक एवं पवित्र नगरी जीन्द में इस संस्था ने यहाँ के महाराजा अग्रसेन कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उत्तर भारत का सबसे बड़ा अग्रवाल युवक-युवति परिचय सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मलेन में हरियाणा के अतिरिक्त दिल्ली, मुम्बई, बिहार, असम, चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड से अग्रवाल समाज की युवा पीढी के करीबन 850 युवक-युवतियों ने खुले मंच पर आकर अपना परिचय दिया तथा अपने जीवन साथी के सम्बन्ध में खुलकर पसंद व्यक्त की. समारोह में मुख्य अतिथि हरियाणा के शिक्षा एवं परिवहन मंत्री श्री मांगेराम गुप्ता रहे जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर समाजसेवी और अग्रवाल नेता चुडिया राम गोयल तथा रामगोपाल अग्रवाल ने शिरकत की. समारोह को संबोधित करते हुए श्री मांगेराम गुप्ता ने कहा कि वास्तव में इस तरह के परिचय सम्मलेन आज के इस आधुनि दौर की ज़रूरत बन गए हैं तथा अग्र बंधुओं हेतु रामबाण बनकर सामने आये हैं. परिचय सम्मेलनों के माध्यम से मा-पिता की बहुत सी मुश्किलें आसान हो गई हैं. इन सम्मेलनों में एक ही मंच पर सैंकडों रिश्ते आसानी से हो जाते हैं. इन कार्यकर्मों ने अग्रवाल समाज को जोड़ने का काम किया है तथा समाज में फैली दहेज़ प्रथा जैसी सामाजिक बुराई पर भी अंकुश लगा है. उन्होंने पुराने समय की बातों का ज़िक्र करते हुए कहा कि पहले इस समाज में बिचोलिये ही रिश्ते करवाते थे लेकिन आज जीवन में भा-दौड़ व समय की कमी के चलते बिचोलिओं की भूमिका कम हो गई है जिसके कारण समाज में नौजवान बच्चों के रिश्ते होने में बड़ी कठिनाईयां आ रही हैं. इस आधुनिक युग में परिचय सम्मेलनों के माध्यम से रिश्ते होना अपने आप में एक नई पहल है. गुप्ता जी ने अग्रवाल समाज की अन्य संस्थाओं से भी आह्वान किया कि वें इस प्रकार के सम्मलेन समय-समय पर आयोजित करें ताकि रिश्ते होने में आने वाली कठिनाइयों से निजात मिल सके. अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के प्रदेशाध्यक्ष एवं समारोह के संयोजक राजकुमार गोयल ने आये हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि समाज में रिश्तों से मुतल्लिक आने वाली समस्याओं की दूरगामी सोच के अनुरूप उन्होंने सन 2001 से युवक-युवति परिचय सम्मलेन का सिलसिला शुरू किया था. उसके बाद सन 2005 और अब 2009 में तीसरा सफल सम्मलेन आयोजित हुआ है. उन्होंने परिचय सम्मलेन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि संस्था सम्मलेन से पूर्व पूरे भारतवर्ष से अग्रवाल युवक-युवतियों के फॉर्म आमंत्रित करती है. उन प्राप्त फोरमों की एक पुस्तिका तैयार की जाती है तथा आवेदकों को पंजीकृत नंबर दिए जाते हैं. सम्मलेन के दिन एक-एक नम्बर को स्टेज पर बुलाकर उनका परिचय करवाया जाता है. अगर एक पक्ष के किसी अभिभावक को कोई लड़का या लड़की पसंद आती है तो वह दूसरे पक्ष के अभिभावक के साथ बैठकर अपने पुत्र या पत्री हेतु रिश्ते की बातचीत कर सकता है. इसके लिए संस्था के द्वारा अलग से बैठने की व्यवस्था की जाती है और इस दौरान समाज के जिम्मेदार बुजुर्ग व्यक्ति बतौर सलाहकार वहां मौजूद होते हैं. इस प्रकार से नौजवान पीढी के रिश्ते तय हो जाते हैं एवं बाद में अपने अनुकूल समयानुसार वें शादी के पवित्र बंधन में बंध जाते हैं. उन्होंने कहा की वह और उनकी टीम भविष्य में भी इस तरह के परिचय सम्मेलनों का आयोजन करती रहेगी.

30.8.09

क्या महिलाओं की नेतृत्व क्षमता - स्थानीय निकायों के चुनाव तक सीमित है !

जिस देश में राष्ट्रपति के पद पर एक महिला आसीन है , सत्ता पर काबिज़ गठबंधन की सर्वोच्च एवं सर्वमान्य नेता एक महिला है , जहाँ आज महिला सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ बराबरी से कंधे से कंधे मिलकर कार्य कर रही है। क्या उस देश की महिलाओं की नेतृत्व क्षमता में अभी भी शक और शुबहा की गुंजाइश बचती है? चाहे केन्द्र सरकार की बात करें या फिर राज्य सरकार की पंचायत और स्थानीय निकायों के चुनाव में ५० फीसदी आरक्षण का लालीपाप देकर महिला समानता और हितों के हिमायती होने दम भरते हैं क्यों नही अभी तक संसद में महिला आरक्षण का बिल पास हो पाया है ; ३३ फीसदी ही क्यों; ५० फीसदी यानि बराबरी के हक़ की बात क्यों नही की जाती है?
जहाँ आधी आबादी महिलाओं की हो, किंतु सत्ता में भागीदारी उनकी आबादी के अनुपात में हो तो कैसे कहेंगे देश की सरकार पूर्णतः लोकतान्त्रिक है? जो देश की आधी आबादी का प्रतिनिधितव करती है, उनकी समान भागीदारीके अभाव में क्या उनके हितों और हकों के अनुरूप नीतियां और योजनायें बन पाती होगी? - अभी तक महिलाआरक्षण का बिल का संसद में पास होना इस बात का द्योतक है। संसद में महिलायें संख्या के मामले में पुरुषोंसे कमजोर पड़ रही है जब महिला आरक्षण बिल का वर्षों से यह हाल है तो महिला के कल्याण और हितों केअनुरूप बनने वाले कानून अथवा योजनाये पूर्वाग्रहों से कितने मुक्त होते होंगे, इस बात अंदाज़ लगाना मुश्किल नहीहोगा आजादी के ६२ वर्षों बाद भी महिलायें अपनी आबादी के अनुपात में संसद में अपनी हिस्सेदारी नही बनापायी
यदि सरकार और संसद वास्तव में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु कृत संकल्प है तो उसे कुछऐसे कदम उठाने चाहिए जैसे हो सके तो महिलाओं को पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव में प्रत्याशी के रूपमें खड़े होने हेतु प्रेरित करने के उद्देश्य से नामांकन फार्म भरने से लेकर चुनाव लड़ने तक का आर्थिक खर्च का वहन सरकार द्वारा किया जाना चाहिए दूसरा यह कि सत्ता खिसकने एवं संसदीय सीट छिन जाने के डर से कोई कोई अड़ंगा लगाकर महिला बिल को पास होने से रोका जाता है अतः इसे अब नेताओं के हाथ से निकालकर सीधेजनता के बीच ले जाकर जनता द्वारा वोटिंग के माध्यम से इस पर फ़ैसला कराया जाना चाहिए फ़िर देखें कैसे पास होगा महिला आरक्षण का बिल क्योंकि आधी आबादी और उससे अधिक का समर्थन मिलना तो निश्चित हीहै

आशा है कि इस तरह के गंभीर प्रयास यदि किए जायेंगे तो महिलाओं की सभी क्षेत्रों में उनकी आबादी के हिसाब सेसमान भागीदारी और हिस्सेदारी निश्चित रूप से सुनिश्चित हो पाएगी

29.8.09

छेड़खानी व अपहरण के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार

जींद(हरियाणा): पुलिस ने छेड़छाड़ अपहरण की कोशिश करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।आरोपियों से कड़ी पूछताछ की जा रही है। इस मामले में एक आरोपी की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है पुलिस के अनुसार गत 21 अगस्त को भम्भेवा निवासी एक व्यक्ति ने शिकायत दी थी कि अजमेर उसके अन्य साथियों ने उसकी पोती के साथ छेड़छाड़ की। इसके अलावा उसका अपहरण करने की कोशिश भी की गई, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके। पुलिस ने उक्त व्यक्ति की शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था तथा इस सम्बन्ध में भम्भेवा गांव के दिनेश, प्रदीप तथा विक्रम को गिरफ्तार किया है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है। इस मामले में पहले गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम अजमेर है।

महिलाओं ने किया महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन

जींद(हरियाणा): जिले में इनेलो महिला विंग द्वारा बढ़ रही महंगाई तथा बिजली-पानी आदि मुद्दों को देखते हुए जिले के जुलाना, सफीदों, जींद, उचाना नरवाना क्षेत्रों में जोरदार विरोध प्रदर्शन किए गए। विरोध प्रदर्शन में जहां इनेलो महिला विंग की सदस्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, वहीं पर प्रदर्शन में स्थानीय स्तर के इनेलो नेताओं ने भी भाग लेकर सरकार की नीतियों जनविरोधी करार दिया तथा उनकी जमकर आलोचना की। इनेलो जिलाध्यक्ष सुरेंदर बरवाला ने कहा कि सरकार जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि आए दिन बढ़ रही महंगाई ने गरीब लोगों का जीना दूभर कर दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब भी देश प्रदेश में कांग्रेस की सरकारे बनी, तब-तब महंगाई ने आसमान को छूने का काम किया। उन्होंने कहा कि कभी किसी समय में कहावत थी कि दाल-रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ लेकिन आज दालों के भाव आसमान को छू रहे है। उन्होंने कहा कि जिस दाल की कीमत आज से पांच वर्ष पहले 22-23 रुपये किलो थी, आज उसी दाल का भाव 70-80 रुपये हो गया है। रही-सही कसर अब चीनी ने पूरी कर दी है। ऐसे में जो सरकार बढ़ रही महंगाई पर रोक नहीं लगा सकती, ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं। बाद में महिलाओं ने शहर में प्रदर्शन करते हुए सीएम हुड्डा का पुतला भी फूँका।

28.8.09

कंप्यूटर अध्यापकों का धरना जारी

जींद : हरियाणा कंप्यूटर संघ का अनिश्चितकालीन धरना जारी हैआज के धरने की अध्यक्षता रविंद्र शर्मा ने की। उन्होंने बताया कि हरियाणा राज्य के विभिन्न राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कंप्यूटर अध्यापक पिछले तीन वर्ष से कार्यरत हैं, परंतु उक्त अध्यापकों को वेतन के नाम पर बहुत ही नीचा दिखाया जा रहा है। उक्त अध्यापकों की शैक्षिक योग्यता पीजीडीसीए, बीसीए, एमएससी है इनको कक्षा 6 से 12वीं कक्षा तक पढ़ाना होता है। इसके अलावा इनसे स्कूल का अतिरिक्त काम भी लिया जाता है, परंतु इनको वेतन एक चौकीदार से भी कम दिया जाता है। 117 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से। जिनमें छुट्टियों का वेतन काट कर मुश्किल से 1800-2000 रुपये प्रति महीना दिया जाता है, जोकि अन्याय नाइंसाफी है। इससे सरकार का उक्त अध्यापकों के प्रति नकारात्मक रवैया प्रतीत होता है। इस विषय में सरकार से कई बार मुलाकात भी की जा चुकी है, मगर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, परंतु दूसरी ओर कंप्यूटर अध्यापकों का इतना कम वेतन दिया जा रहा हैइनकी योग्यता को नीचा दिखाया जा रहा है। हम अनिश्चितकालीन धरने के माध्यम से सरकार का ध्यान अपनी मांगों की तरफ खींचना चाहते हैं

आखिर कब ले ले यह जान पता नही

हरियाणा में प्रशासन की नाक तले सैकड़ों अवैध वाहन आज बेखौफ सड़कों पर दौड़ रहे हैंयें वाहन अब तक दर्जनों लोगों को अकाल मौत की नींद सुला चुके हैं अवैध वाहन चालक तेज गति से अपने वाहनों को चलाते हैंप्रशासन सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ है।हरियाणा में सैकड़ों की संख्या में चल रहे अवैध वाहन परिवहन विभाग को प्रतिमाह लाखों रुपये का चूना लग रहे हैं। इन वाहन मालिकों की रफ ड्राइविंग अत्यधिक यात्रियों को ठूंसने के चलते यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमराकर कर रह गई है। इस पर काबू पाने में प्रशासन पूरी तरह से लाचार बना हुआ है। हरियाणा के अधिकतर जिलो के साथ-साथ जीन्द जिले में मुख्य मार्गो जींद-कैथल, असंध, नरवाना, बरवाला, हांसी, जुलाना सफीदों रूटों पर प्रतिदिन सैकड़ों मैक्सी कैब विभिन्न मार्गो पर राज्य परिवहन विभाग के समांतर यात्रियों को लाने ले जाने का काम में लगे हुए है। ताज्जुब की बात यह है कि इस सब के बावजूद भी प्रशासन इन पर नकेल लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। मैक्सी कैब में यात्रा करने वाले यात्रियों की जान यात्रा के दौरान हमेशा जोखिम में बनी रहती है। इन वाहन चालकों की रफ ड्राइविंग अत्यधिक यात्रियों को ठूंसने की प्रवृति के चलते प्रति वर्ष दर्जनों यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। दुर्घटना के बाद कुछ समय तक तो पुलिस इन अवैध वाहनों के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाती नजर आती है, परन्तु इसके बाद समय के साथ पुलिस की कार्यवाही भी कहीं अंधेरे में खोकर रह जाती है। इससे यातायात व्यवस्था फिर से पुराने रुटीन पर खड़ी दिखाई देती है। इससे इन वाहन मालिकों के हौसले फिर से आसमान को छूने लग जाते है तथा वाहन मालिकों के इसी प्रक्रिया के चलते सड़कों पर फिर से मौतों का खेल शुरू हो जाता है। इस मामले में यदि यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि विभिन्न मार्गो पर चल रही ये अवैध वाहन प्रशासन पुलिस को ठेंगा दिखाते हुए बेलगाम चलते हुए लगातार यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए है।

दंगा:


एक चौराहा था , सुन्दर सा चौराहा ,,
चहकता हुआ चौराहा , महकता हुआ चौराहा ,,,
वहा उड़ती हुई पतंगे थी , घूमती हुई फिरंगे थी ....
सजती हुई मालाये थी,, लरजती हुई बालाये थी ,,,
चमकते चमड़े की दूकान थी,महकते केबडे की भी शान थी ,,
रफीक टेलर भी वही था , और हरी सेलर भी वही था ,,,
वहा पूरा हिन्दुस्तान था , हर घर और मकान था ,,
मेल मिलाप और भाई चारा था , कोई नहीं बेचारा था ,,
पर एक चीज वहा नहीं थी , जो होना ही सही थी ,,
वहा नहीं था तो पुरम ,पुर और विहार नहीं था ...
वहा नहीं था तो दालान ,वालान और मारान नहीं था,,,
गली कासिम जान भी नहीं थी, और गली सीता राम भी नहीं थी ,,,,
वहा हिन्दू भी नहीं था , वहा मुसलमान भी नहीं था ,,
था तो केवल हिन्दुस्तान था , था तो केवल भारत महान था ,,
फिर एक आवाज आई मैं हिन्दू हूँ ,,
उसकी प्रतिध्वनी गूंजी मैं मुसलमान हूँ ,,,
और उस लय का गला घुट गया ,जो कह रही थी मैं हिन्दुस्तान हूँ ,,
सुनते ही सन्नाटा पसर गया ,,
उड़ते उड़ते हरी पतंग ने लाल पतंग मजहब पूछ लिया ,,
हरी ने रफीक के सीने में चाकू मार दिया ,,
सब्जियों में भी दंगा हो गया , अपना पन सरेआम नंगा हो गया ,,
बैगन ने आलू के कान में फुसफुसाया ,,मियां प्याज को पल्ले लगाओ ,,
कद्दू ने कुछ जायदा ही फुर्ती दिखाई,प्याज को लुढ़का दिया,,,
और वो पहिये के नीचे गया ,,
लहसुन ने मिर्ची को मसल दिया , क्यों की वो हिन्दू थी ,,
अब तो वहा पर कोहराम था ,क्यूँ की दंगा सरेआम था ,,
एक दूकान दूसरी दूकान से धर्म पूछ रही थी ,,
एक नुक्कड़ दूसरे नुक्कड़ से धर्म पूछ रहा था ,,
अब वहा पे वालान थे ,अब वहा पे मारान थे ,,
अब वहा पे पुरम था , अब वहा पे विहार भी था ,,
अगर कुछ नहीं था तो ,,
वहा पे हिन्दुस्तान नहीं था , मेरा भारत महान नहीं था ,,
अब वहा पर केवल हिन्दू था और मुसलमान था ,,
और वीरान ही वीरान था ,,
तभी किसी ने कहकहा लगाया और ताली बजाई ,,,
फिर उसने लम्बी साँस ली और ली अंगडाई,,
वो मुस्कराया क्यूँ की अब उसके मन का जहान था,,
फिर वह धीरे से बुदबुदाया मैं हिन्दू हूँ ,,
फिर वह धीरे से फुफुसाया , मैं मुसलमान हूँ ,,
और चल दिया अगले चौराहे पर,,
हिन्दुस्तान को हिन्दू और मुसलमान बनाने के लिए ,,
क्यों की यही तो उसका धर्म है और कर्म भी ,,
आखिर नेता जो है .....

प्रतिभाओं को अवसर - इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सराहनीय कार्य !

इस देश में प्रतिभाओं को कमी नही है, बस जरूरत है तो एक अदद अवसर और उचित मंच की। जिसके माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें जाने ऐसी कितनी ही प्रतिभाएं हैं, जो एक उचित अवसर के अभाव में गुमनामी के अंधेरे में दम तोड़ देती हैं एक टीवी चॅनल के रियलिटी शो के माध्यम से सुदूर ग्रामीण अंचल बहराम पुर ( उडीसा ) के शारीरिक कमियों से ग्रस्त युवाओं के प्रिंस डांस ग्रुप ने शानदार नृत्य प्रस्तुत कर देश भर के दर्शकों का दिल जीतकर अपने अटूट जज्बे और अदभुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा प्रतिभाओं को सामने लाने और उन्हें उचित अवसर प्रदान करने का यह बहुत ही सराहनीय प्रयास किया जा रहा है
पहले पहल दूरदर्शन में यह बात देखने को मिलती थी। जिसमे शास्त्रीय नृत्य , संगीत और बाद्य यंत्रों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ करता था । नीजि चेनलों के आ जाने से देश की प्रतिभाओं को उचित अवसर और मंच मिलने की सम्भावना बढ़ने लगी । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया धीरे-धीरे मनोरंजन , ख़बरों एवं ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों के दायरे से निकलकर अब देश की प्रतिभाओं हेतु प्रतिभा प्रदर्शन का उचित मंच साबित होने लगा । प्रारम्भ में केवल फिल्मी क्षेत्रों से जुड़े गीत , संगीत और नृत्य से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन का माध्यम बना एवं लंबे समय तक बना रहा , इससे ऐसा लगने लगा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सिर्फ़ फिल्मी कला क्षेत्रों से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन के मंच तक ही सिमटकर रह गया है, जिसमे नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा प्रदर्शन के अपेक्षा नक़ल को ज्यादा तवज्जो दी जाती रही है । यंहा तक कि छोटे-छोटे बच्चे भी फिल्मी गाने की नक़ल कर प्रेम और प्यार के नगमे गाते नजर आते रहे । ऐसा देखने को मुश्किल ही मिला हो कि प्रतियोगी स्वयं द्वारा रचित गीत संगीत अथवा निर्मित नृत्य शैली का प्रदर्शन कर रहा हो ।
किंतु रियलिटी शो के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा लोगों को नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा और हुनर के प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया जा रहा है और वह भी फिल्मी क्षेत्रों के आलावा अन्य कला क्षेत्रों में।
कुछ अपवादों को छोड़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की यह नई भूमिका अत्यन्त प्रशंसनीय और सराहनीय है, जो देश की प्रतिभाओं को प्रसिद्धि पाने और कला एवं हुनर के प्रदर्शन हेतु उचित मंच और अवसर प्रदान करने का कार्य कर रही है । युवा पीढियों के साथ सभी उम्र के कलाकारों अथवा प्रतिभाओं को रचनात्मक और सकारात्मक कार्यों की ओर प्रेरित कर रही है । इससे देश के सुदूर अंचलों एवं कोने-कोने में विद्यमान उभरती प्रतिभाओं की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आशा कुछ ज्यादा बढ़ गई है । अतः इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कंधे पर भारी जिम्मेदारी आन पड़ी है कि स्वस्थ्य मनोरंजन के साथ-साथ देश की छुपी हुई प्रतिभाओं को प्रदर्शन का उचित अवसर बिना किसी पूर्वाग्रह के प्रदान कर सके । आशा है, मीडिया अपने जिम्मेदारी पर खरा उतरेगा और देश तथा समाज के लोगों की खुशहाली और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगा ।

27.8.09

20 पशु बरामद

जींद(हरियाणा): जिले की सफीदों पुलिस ने गश्त के दौरान भैंसों तथा कटड़ों से भरा एक ट्रक पकड़ा। जिसमे इन पशुओं को ठूस-ठूस कर भरा गया था। पुलिस द्वारा पांच लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया है। सफीदों पुलिस खानसर चौंक पर गश्त कर रही थी कि अचानक तेज गति से रहे एक ट्रक को संदिग्ध समझ कर रोका गया और पूछताछ की गई। ट्रक चालक द्वारा सही जवाब दिए जाने पर ट्रक की तलाशी ली गई तो उसमे 13 भैंस तथा 7 कटड़ों को ठूस-ठूस कर भरा हुआ था। पुलिस पूछताछ में पकड़े गए लोगों की पहचान उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर इलाके के गांव अटावली से सागिर, गांव परनौली से इरसाद, मांगा नासिर तथा जींद के ढाठरथ गांव के रामकिशन के रूप में हुई। पुलिस द्वारा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

......जब वो गाती है....


झुमती गाती और गुनगुनाती ग़ज़ल,

गीत कोई सुहाने सुनाती ग़ज़ल

ज़िंदगी से हमें है मिलाती ग़ज़ल,

उसके अशआर में एक ईनाम है,

उसके हर शेर में एक पैगाम है।

सबको हर मोड़ पे ले के जाती ग़ज़ल।

उसको ख़िलवत मिले या मिले अंजुमन।

उसको ख़िरमन मिले या मिले फिर चमन,

वो बहारों को फिर है ख़िलाती ग़ज़ल।

वो इबारत कभी, वो इशारत कभी।

वो शरारत कभी , वो करामत कभी।

हर तरहाँ के समाँ में समाती ग़ज़ल।

वो न मोहताज है, वो न मग़रूर है।

वो तो हर ग़म-खुशी से ही भरपूर है।

हर मिज़ाजे सुख़न को जगाती ग़ज़ल।

वो मोहब्बत के प्यारों की है आरज़ू।

प्यार के दो दिवानों की है जुस्तजु।

हो विसाले मोहब्बत पिलाती ग़ज़ल।

वो कभी पासबाँ, वो कभी राजदाँ।

उसके पहलु में छाया है सारा जहां।

लोरियों में भी आके सुनाती ग़ज़ल।

वो कभी ग़मज़दा वो कभी है ख़फा।

वक़्त के मोड़ पर वो बदलती अदा।

कुछ तरानों से हर ग़म भुलाती ग़ज़ल।

वो तो ख़ुद प्यास है फ़िर भी वो आस है।

प्यासी धरती पे मानो वो बरसात है।

अपनी बुंदोँ से शीद्दत बुझाती ग़ज़ल।

उसमें आवाज़ है उसमें अंदाज़ है।

इसलिये तो दीवानी हुई राज़ है।

जब वो गाती है तब मुस्कुराती ग़ज़ल।

26.8.09

दहेज के लिए तंग करने के आरोप में पति गिरफ्तार

जींद(हरियाणा): विवाहिता को दहेज के लिए तंग करने के मामले में पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार किया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। बधाना गांव निवासी इंदू ने अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि उसकी शादी लगभग दो वर्ष पूर्व पानीपत के अदाना गांव निवासी कुलदीप के साथ हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही ससुरालियों ने उसे और अधिक दहेज की मांग को लेकर परेशान करना शुरू कर दिया था. दहेज की मांग पूरा करने पर उसके साथ मारपीट की जाने लगी। मामले को लेकर दोनों पक्षों के बीच पंचायतों का दौर भी चला, लेकिन सुसराल जन अपनी हरकतों से बाज नहीं आए और मारपीट कर घर से निकाल दिया। पुलिस ने इंदू की शिकायत पर पति कुलदीप, ससुर रणधीर, जेठ शेर सिंह, जेठानी राजवंती, ननंद गांव डंढेरी निवासी शीला, नंदोई विजेंद्र, गांव किठाना निवासी कमला तथा नंदोई बलबीर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने इस मामले में पति कुलदीप को गिरफ्तार कर लिया है।


राशि हड़पने का मामला दर्ज

जींद(हरियाणा): महाराष्ट्र के पूना स्थित ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थान में दाखिला कराने के नाम पर एक महिला से लगभग बारह लाख रुपये हड़पने का मामला सामने आया है। महिला की शिकायत पर पुलिस ने राशि हड़पने वाले बाप-बेटा के खिलाफ धोखाधड़ी तथा जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस के अनुसार अर्बन इस्टेट निवासी प्रेम देवी ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह अपनी बेटी संध्या को मास्टर ऑफ़ मैनेजमेंट कोर्स में दाखिला दिलाना चाहता थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात गाव धनाना सोनीपत निवासी आरके जतिन तथा उसके बेटे विजय जतिन से हुई। बातचीत में दोनों ने उसे बताया कि पूना में ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थान है। वे उसकी बेटी का दाखिला उस संस्थान में करवा सकते है। दाखिला करवाने की एवज में उसे लगभग बारह लाख रुपये डोनेशन के रूप में देने होंगे। 12 अप्रैल 2009 को आरके जतिन तथा उसके बेटे विजय ने उससे 11 लाख 70 हजार रुपये ले लिए। शुरू में दोनों काउंसिलिंग होने के बाद दाखिला का आश्वासन देते रहे। बाद में उस शिक्षण संस्थान की सभी सीटे फुल हो गई, लेकिन उसकी बेटी का दाखिला शिक्षण संस्थान में नहीं हुआ। दाखिला होने पर जब उसने डोनेशन के रूप में ली गई राशि को वापस माँगा तो उन्होंने राशि लौटाने से मना कर दिया और धमकी दी कि अगर पैसे मागने या शिकायत करने की कोशिश की तो उसका अंजाम बुरा होगा। पुलिस ने प्रेम की शिकायत पर आरके जतिन तथा उसके बेटे विजय के खिलाफ धोखाधड़ी तथा जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया है।

25.8.09

थाने में आयोजित किया रक्तदान शिविर

जींद:-तर्कशील सोसाइटी द्वारा रक्तदान कैंप का आयोजन अलेवा थाने में किया गया। जिला पुलिस अधीक्षक बी सतीश बालन ने इसका उद्घाटन किया अध्यक्षता की। सोसाइटी के प्रदेश प्रचार सचिव सुभाष तितरम ने बताया कि यह सोसाइटी द्वारा आयोजित 14वां रक्तदान कैंप है। जिला पुलिस अधीक्षक बी सतीश बालन ने कहा कि रक्तदान से दूसरों का अमूल्य जीवन बचाया जा सकता है। यह सिर्फ दान द्वारा ही प्राप्त होता है। इस कैंप में थाना एसएचओ रवींद्र कुमार का अहम योगदान रहा। उन्होंने इस अवसर पर रक्तदान किया और कहा कि वह समय-समय पर रक्तदान करते रहे है। यह भी विशेष बात रही कि किसी थाने में यह अब तक का पहला रक्तदान कैंप है। जिस दिन थाने में कैंप सोसाइटी द्वारा फैसला किया गया, उसी दिन रवींद्र कुमार का पदोन्नति का आदेश पहुंचा। पुलिस अधीक्षक ने भी पुलिस कर्मचारियों के सामाजिक कार्यो में भाग लेने पर प्रशंसा की। इस मौके पर इंस्पेक्टर रवींद्र कुमार, एएसआई गोपाल कुमार, हवलदार बलवान, रामदिया, संदीप, गुरदेव, रामपाल सुभाष तिरम, विक्रम, धर्मबीर, सत्वान, बंसी, सुभाष, सोनू, बलराज, सहदेव, राजेश, देवेंद्र, विक्रम, सुनील, अशोक ने रक्तदान किया। इस अवसर पर सतबीर अहिरका, मुकेश, रणदीप श्योकंद, नरेश सिंगला, विक्रम भी मौजूद थे।

....तेरी यादें.....


मैं चुराकर लाई हुं तेरी वो तस्वीर जो हमारे साथ तूने खींचवाई थी मेरे परदेस जाने पर।

में चुराकर लाई हुं तेरे हाथों के वो रुमाल जिससे तूं अपना चहेरा पोंछा करती थी।

मैं चुराकर लाई हुं वो तेरे कपडे जो तुं पहना करती थी।

मैं चुराकर लाई हुं पानी का वो प्याला, जो तु हम सब से अलग छूपाए रख़ती थी।

मैं चुराकर लाई हुं वो बिस्तर, जिस पर तूं सोया करती थी।

मैं चुराकर लाई हुं कुछ रुपये जिस पर तेरे पान ख़ाई उँगलीयों के नशाँ हैं।

मैं चुराकर लाई हुं तेरे सुफ़ेद बाल, जिससे मैं तेरी चोटी बनाया करती थी।

जी चाहता है उन सब चीज़ों को चुरा लाउं जिस जिस को तेरी उँगलीयों ने छुआ है।

हर दिवार, तेरे बोये हुए पौधे,तेरी तसबीह , तेरे सज़दे,तेरे ख़्वाब,तेरी दवाई, तेरी रज़ाई।

यहां तक की तेरी कलाई से उतारी गई वो, सुहागन चुडीयाँ, चुरा लाई हुं “माँ”।

घर आकर आईने के सामने अपने को तेरे कपडों में देख़ा तो,

मानों आईने के उस पार से तूं बोली, “बेटी कितनी यादोँ को समेटती रहोगी?

मैं तुज में तो समाई हुई हुं।

“तुं ही तो मेरा वजुद है बेटी”

बस पर किया पथराव


जींद : हरयाणा के जींद जिले के सफीदों कसबे के पीर बाबा पर माथा टेकने आए श्रद्धालुओं की बस पर कुछ अज्ञात लोगों ने पथराव कर दिया, जिसमें बस के सारे शीशे टूट गए। उसके बाद उक्त लोगों ने बस में सो रहे बस के कंडक्टर व ड्राईवर की बुरी तरह से धुनाई कर डाली, जिसमें कंडक्टर व ड्राइवर घायल हो गया। दोनों घायलों को उपचार के लिए जींद के अस्पताल में लाया गया जहां हालत गंभीर देखकर घायलों को रोहतक रेफर कर दिया गया है। इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी गई है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। जानकारी के अनुसार रविवार रात अंबाला से श्रद्धालुओं से भरी एक बस नंबर सीएच-03ई-2831 में सफीदों पीर बाबा पर माथा टेकने के लिए आई हुई थी। श्रद्धालु बस से उतरकर पीर बाबा के दरबार में जा चुके थे, जिसके बाद कुछ अज्ञात युवक आए और बस में सो रहे कंडक्टर सुशील व ड्राईवर सुरेश पर हमला कर दिया, जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए। जब उन्हे पीटने के बाद भी हमलावर शांत नहीं हुए तो बाद में हमलावरों ने बस पर पथराव कर दिया जिससे बस के सारे शीशे टूट गए। इस बारे में बस के मालिक मनदीप सिंह अंबाला वासी से फोन पर संपर्क साधा तो उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि हर साल करीब 6-7 बसें श्रद्धालुओं की भरकर गूगा-मेड़ी, सफीदों व अन्य कई धार्मिक स्थानों पर माथा टेकने के लिए आती है। इसी प्रकार रविवार को भी सभी बसें गूगा-मेढ़ी व कई धार्मिक स्थानों से होकर सफीदों पहुंची थी, जिसके बाद रविवार रात करीब 11 बजे उन्हे सूचना मिली की उनकी बस पर पथराव कर दिया है और कंडक्टर व ड्राइवर के साथ मारपीट भी की गई है। सूचना पाते ही वह सफीदों पहुंचे और पुलिस में शिकायत की। उन्होंने बताया कि बस पर पथराव होने से उनको भारी नुकसान हुआ है।

मैं तेरे साथ - साथ हूँ.........

देखो तो एक सवाल हूँ
समझो तो , मैं ही जवाब हूँ ।।
 
उलझी हुई,इस ज़िन्दगी में। 
सुलझा हुआ-सा तार हूँ।।
 
बैठे है दूर तुमसे , गम करो
मैं ही तो बस, तेरे पास हूँ।।
 
जज्वात के समन्दर में दुबे है। 
पर मैं ही , उगता हुआ आफ़ताब हूँ
 
रोशनी से भर गया सारा समा
पर मैं तो, खुद ही में जलता हुआ चिराग हूँ ।।
 
जैसे भी ज़िन्दगी है, दुश्मन तो नही है। 
तन्हा-सी हूँ मगर, मैं इसकी सच्ची यार हूँ।।
 
जलते हुए जज्वात , आंखो से बुझेंगे  
बुझ कर भी बुझी, मैं ऐसी आग हूँ।।
 
कैसे तुम्हे बता दें , तू ज़िन्दगी है मेरी
अच्छी या बुरी जैसे भी, मैं घर की लाज हूँ ।।
 
कुछ रंग तो दिखाएगी , जो चल रहा है अब।
खामोशी के लबो पर छिड़ा , में वक्त का मीठा राग हूँ।।
 
कलकल-सी  वह चली, पर्वत को तोड़ कर
मैं कैसे भूल जाऊ, मैं बस तेरा प्यार हूँ।।
 
भुजंग जैसे लिपटे है , चंदन के पेड़ पर
मजबूरियों में लिपटा हुआ , तेरा ख्बाव हूँ।।
 
चुप हूँ मगर , में कोई पत्थर तो नही हूँ।
जो तुम कह सके, मैं वो ही बात हूँ
 
बस भी कर, के तू मुझको याद
वह सकेगा जो, में ऐसा आव हूँ।।
 
मेहदी बारातै सिन्दूर चाहिए
मान लिया हमने जब तुम ने कह दिया , मैं तेरा सुहाग हूँ।।
 
खुद को समझनाकभी तन्हा और अकेला। 
ज़िन्दगी के हर कदम पर , मैं तेरे साथ - साथ हूँ।।