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बहुत ख़ूब!
दर दर ढूंढते रहे पेड- पौधे, न मिला आशियानाँ कुदरत की छाँव में।ढूंढते-ढूंढते अब हम आये हैं भैया ,बसने अब तेरे गाँव में।
2 टिप्पणियाँ:
बहुत ख़ूब!
दर दर ढूंढते रहे पेड- पौधे, न मिला आशियानाँ कुदरत की छाँव में।
ढूंढते-ढूंढते अब हम आये हैं भैया ,बसने अब तेरे गाँव में।
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