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16.6.09

हां ये नस्लीय हिंसा है!...भारतीय सावधान !!!

ऑस्ट्रेलिया का नाम आते सबसे पहले हमारे दिमाग में जो तस्वीर उभर कर आती है, वो है वहां कि क्रिकेट टीम...बेहतरीन खेल से वहां के खिलाड़ियों क्रिकेट की दुनिया मेंअपना खौफ़ कायम कर रखा था। लेकिन आजकल इस देशकी चर्चा वहां के खिलाड़ियों के बेहतरीन खेल की वजह सेनहीं बल्कि वहां पर हो रही उस हिंसा की वजह से हो रही है।ये हिंसा एक आम हिंसा नहीं हैइस हिंसा का शिकार हो रहेसिर्फ भारतीय हैंकभी तो वो छात्र होते हैं तो कभी वहां परकाम करने वाले आम भारतीय....पिछले कुछ महीनो परनज़र डालें तो हम पायेंगे कि किस तरह से वहां पर हिंसा कादौर रुक नहीं रहा है औऱ जिसका शिकार भारतीय छात्र होरहे हैं। इन हमलों में वहां की सरकार तो इस आम लूट पाट के लिए होने वाला हमला बता रही है पर असल में ऐसाहै नहीं। वहां पर पिछले चालीस सालों से ज्यादा समय से भारतीय रह रहे हैं और वहां हमेशा से ही भारतीयों कोअच्छी नज़र से नहीं देखा जाता था। सिर्फ भारतीय बल्कि वो देश जो विकासशील थे या ये कहें कि ऑस्ट्रेलिया केमुकाबले कम अमीर थे। उस वक्त यहां के लोगों में भारतीयों या यहां के लोगों प्रति कोई गलत भावना नहीं थी क्योंजिस तरह कम पैसे वाले या बेहाल को देखकर हम उन पर दया दिखाते हैं लेकिन जब वो हमसे आगे निकलनेलगते है उस वक्त हमें जलन होती है उसी तरह ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों का वर्चस्व बढ़ने लगा या कहें कि भारतीयपैसों के मुकाबले और अमीर होने लगे तो वहां के निवासियों को ये गवांरा नहीं हो रही है। यहीं कारण है कि वहां रहरहे 7 हज़ार टैक्सी चालकों में से साढ़े पांच हज़ार सिर्फ भारतीय ड्राइवर हैं और उन पर हमले के मामले कम होते हैंलेकिन पढ़े लिखे सभ्य़ और आर्थिक रुप से मजबूत भारतीयों या छात्रों पर लगातार हमलें हो रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया केबारे आप वहां के खिलाड़ियों के बर्ताव से पता लगा सकते है कि कभी भी इंग्लैड और साउथ अफ्रीका या बड़े देशों केखिलाड़ियों से उनकी झड़पें कम होती थी लेकिन भारतीय, श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देशों से उनका बर्ताव मैदान परभी दिख जाता है...भारतीय खिलाड़ियों से उनकी झड़पें तो कई बार सुर्खियां भी बटोर चुकी हैं। वहीं बांग्लादेश जैसे देशों से उनकी झड़पों की ख़बर नहीं आती है..क्यों ? ...इसका जवाब है कि ये देश उनके वर्चस्व को चुनौती देता नहीं दिखता है. भारतीय खिलाड़ियों से उनके दुश्मनी का कारण यही है कि क्यों कि भारतीय उनके वर्चस्व को चुनौतीदेते थे। इसका सबसे चर्चित उदाहरण है आई पी एल में जब कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाड़ी अजीत अगरकरको की गई नस्लीय टिप्पणी जिसमें ऑस्ट्रेलियन कोच ने किस तरह उनसे कहा था कि ....तुम भारतीय वहीं करोजैसा कहा जाये... इस बात से सहज़ ही अंदाजा लग जाता है कि किस तरह गुलाम रखने की मानसिकता के साथ केपले ऑस्ट्रेलिया के लोग भारतीयों को अपने से नीचे समझते हैं और जब उनको इसकी चुनौती मिलती है तो इसतरह कि नस्लीय हिंसा सामने आती है। और ये हिंसा कई सालों से रही है, जब से भारत आर्थिक रुप से प्रगतिकर रहा है। एक बात औऱ यह कि ये हालात सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में नहीं हैसभी जगह शुरु होने वाले हैंक्योंकिसभी जगह आर्थिक मंदी है और भारतीयों को इसकी फिक्र नहींक्योंकि भारत में इसका ज्यादा असर देखने मेंनहीं आया है। इसलिये इसका समाधान कुछ नहीं हैकोई भी सरकार इसका हल नहीं निकाल सकती है। हां एक चीज है, जो हो सकती है और वो ये कि सभी भारतीय एकजुट होकर रहें औऱ सभी घटनाओं का मुंहतोड़ जवाब दें.....

2 टिप्पणियाँ:

jvalant vishya par steek aalekh
umda aalekh !

आइन्दा भी आपके सामयिक आलेखों का इंतज़ार रहेगा. बहुत धन्यवाद!

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