कैसे बताएं कितनी सुहानी ।
होती है ये जीवन की कहानी ।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ।
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ।।
ये छोटा सा तन जब होता मात्र एक अंश है……..
बस माता ही उसका करती पोषण है ।
बनता है बढ़ता , आकार धरता …….
दुनिया से पहले माता से जुड़ता ।।
माता ही धड़कन माता ही बोली ……
उसी के संग करता है कितनी ठिठोली ।
लेता जन्म है , इस लोह्खंड सी दुनिया में रखता कदम है ।
बिना जाने समझे , की दुनिया की फितरत बड़ी वेरहम है ।।
रोते बिलकते चले आते हो तुम…..
जैसे किसी ने तुम पर ढाया सितम है ।।
फिर नन्ही-नन्ही आँखों से संसार देखा ……
कुछ मस्ती भी की ……और ढेर सारा रोया ।
नन्हे - नन्हे कदमो से नाप ली ये दुनिया ……
कहलाई सब की दुलारी सी गुडिया ।।
अपनी तोतली बोली से हर लिया सब का मन…..
घर बन गया खुशियो का उपवन …. ।।
कैसा मनोहर , ठुमकता, मटकता , किलकारी भरता……
होता है बचपन सब से अनोखा ।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............
कितना कष्टकारी होता है वो दिन ।
जब माँ के बिना तडपता है ये दिल।।
उसे छोड़ कर स्कूल जाना ।
और नई दुनिया में अपनी हस्ती जमाना ।।
कॉपी-कितवो से खुद को बचना ।
और फिर नए दोस्तों में एक दुनिया बसाना।।
गुरु की कृपा से जीवन के अनमोल ज्ञान को पाना ।
कभी डांट कर , कभी दुलार कर हमको पढ़ना।।
बहुत याद आता है उनका चश्मा पुराना …।
हाथो में छड़ी , और मन में करूणा छुपना ।।
वो यारो संग मस्ती , हमेशा साथ खाना ।
वो मिलना मिलना , वो हसना हसाना ।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............
जीवन की इतनी अवस्थायें पार कर के ….।
जवानी की खूबसूरत दहलीज पर आना ।।
मन में उमंगें ...... लवो पर तराने ……।
कितने ही किस्से............ नए और पुराने ।।
फिर मोड़ आता है ऐसा सुहाना।
जब मन हो जाता है किसी का दीवाना ।।
उसी के सपने , उसी की बातें , उसी की यादें ।
हमेशा उसे याद रखना और खुद को भी भूल जाना ।।
उसी की तस्वीर मन में सजाना ……….।
और उसे पाने को कुछ भी कर गुज़र जाना ।।
फिर भरी आंख लेकर ससुराल जाना ।
नये सारे रिश्ते नये सारे नाते निभाना ।।
उन सब से अपना तालमेल बिठाना ।
घर,परिवार , नाते , रिश्तो का एक दम से बदल जाना ।।
जिम्मेदारी उठाना , वो घर का चलाना ।
घड़ी भर को भी फुरसत न पाना ।।
माँ , भाभी , मामी , बुआ , चाची और बहु जैसे ….।
उपनाम पाना और खुद का ही नाम कहीं धुधला पड़ जाना ।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............
फिर आ जाता है जीवन का अंतिम ठिकाना ।
जिसे आज तक किसीने न चाहा ।।
अकेला बुढ़ापा , जिसे कभी छोड कर न जाना।
ये ऐसा शाखा है जो अंत तक है रिश्ता निभाता।।
बाँकी सभी को है पीछे छूट जाना ।
यही वो अवस्था जिसने सब कुछ नश्वर बनाया ।।
छणभंगुर है सब कुछ हमको सिखाया ।
एक हिलती सी कुर्सी , एक हिलती सी लाठी ।।
एक अकेला सा कमरा , जहाँ नही कोई अपना।
झूकी सी कमर और चहरे पर झुरियो की कहानी।।
पल पल सिसकना , फिर भी मुस्करना।
बुझते दियो में सपने सजाना।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............
फिर आ जाता है आपनो का बुलावा ।
और पीछे छूट जाता है सारा जमाना ।।
पल भर में ही सब नश्वर हो जाता ।
न रिश्ता, न नाता , न जवानी , न बुढ़ापा।।
बस! उस शून्य से आकर उसी में समा जाना ।
रोता रहता है पीछे संसार सारा।।
पर तेरा तो तेरे शून्य में ही ठिकाना ।
उसी से बना फिर उसी में मिल जाना।।
इस रंगमंच को छोड कर उस ईश्वर में समा जाना।
पञ्च तत्वो की इस देह का मिट्टी में मिल जाना ।।
और आत्मा -परमात्मा का मिलना मिलाना ।
जिस के थे अंश उसी में मिल जाना ।।
बस उसी अंश का चक्कर चलते है जाना ।
यही सत्य है न इसे भूल जाना
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी ............। .
4 टिप्पणियाँ:
kamaal !
adbhut !
bahut achha !
जीवन की सचाई को आपने शब्दों के मोतियों से जिस तरह कविता रूपी माला में पिरोया. कमाल कर दिया. बहुत कम समय में से क्षण भर निकाल कर आपकी रचना को दाद दिए बिना नही रह सका. आपकी अगली कृति की प्रतीक्षा रहेगी. धन्यवाद!
gargi ji aap ki kavitao me kuchh alag hi baat hoti hai bdhayi hoo
sadar
praveen pathik
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JHALLI GALLAN
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