मैं रोजाना जिंदगियां बचाता हूँ!
क्या आप डॉक्टर हैं?
जी नहीं, मैं शाकाहारी हूँ!
अमेरिका जैसे देश में जहाँ शाकाहारी भोजन करना हो तो अदद घास -फूस (समानजनक भाषा में इसे सलाद कहा जाता है) ही मिलेगी वो भी जतन करने पर- एक कार के पीछे लगा यह एक स्टिक्कर मुझे आज भी याद है.
जर्मन निर्देशक निकलस जेहाल्टर द्वारा बनायीं गयी एक फिल्म " अवर डेली ब्रेड" (Our Daily Bread) देखने लायक है. इस मूक फिल्म ( 90 मिनट की इस मूवी में एक भी संवाद नहीं है). इस में दिखाया गया है कि आधुनिक खाद्य इंडस्ट्री कैसे काम करती है: अनाज तथा मीट कैसे प्रोसेस किया जाता है! इस मूवी को देखने के बाद स्पष्ट हो जाता है की हमारे खाने के लिए बलि चढाये जाने वाले पशुओं की संवेदनाओं का ख्याल किसे भी नहीं है! क्योंकि एक और बड़े 'काम' के लिए यह सब किया जा रहा है: "मानवता का पेट भरने के लिए"!! कितना विरोधाभास हैं जीवन में!
वैसे यू ट्यूब पर इस फिल्म का नाम डालेंगे तो कुछ कतरने (ट्रेलर) मिलेंगी, देखने लायक हैं.
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें